दो दिवसीय ज्योतिष वास्तु महासम्मेलन का भव्य आगाज
महिला दिवस पर महिला ज्योतिषियों का विशेष सत्र
उदयपुर। ज्योतिष एक विज्ञान है। आपके जीवन को अच्छा करने के लिए क्या किया जा सकता है, इस बारे में बताई जाने वाली टिप्पणियां ही ज्योतिष है। इसी प्रकार वास्तु पूर्णतया विज्ञान है। ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांतों का सही अध्ययन कर उन्हें लागू करना चाहिए।
ये विचार देश के ख्यातनाम ज्योतिषियों ने जवाहर नगर स्थित सिंधु महल में एस्ट्रोलोजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष वास्तु् महासम्मेलन में व्यक्त किए।
इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष पं. सुरेश शर्मा ने बताया कि पूर्व सांसद भानु कुमार शास्त्री की अस्वस्थता के कारण महासम्मेलन का उद्घाटन सूर्यप्रकाश त्रिपाठी ने किया। त्रिपाठी ने ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांतों का सही अध्ययन करने पर जोर देते हुए इसका महत्व बताया। उदयपुर के पं. निरंजन भट्ट ने नए शोध के प्रति दृष्टिकोण की बात कहीं। भागीरथ जोशी ने पंचांग विधि पर प्रकाश डाला वहीं नवनीत व्यास ने युग्मबोध तथा भारत शर्मा ने नाड़ी ज्योतिष की महत्ता बताई। उड़ीसा से आए अतुल भारद्वाज ने हस्ताक्षर विधि पर अपना शोध बताया तो ललित पंत ने वास्तु की महत्ता बताई। इसके अलावा दारासिंह, डॉ. सुंदरानी, विवेक शर्मा, डॉ. रवि वर्मा, आलोक आचार्य आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। जोधपुर के खींवराज शर्मा ने सम्मेलन का संचालन करते हुए पाण्डुलिपियों एवं दुर्लभ चित्रों का प्रदर्शन किया।
आकर्षण का केन्द्र बने अद्भुत महाराज
उज्जैन से आए अद्भुत महाराज अपनी वेशभूषा एवं पहनावे के कारण न सिर्फ अन्य ज्योतिषियों बल्कि दर्शकों-आमजन के भी आकर्षण का केन्द्र बने रहे। वे कृष्ण के पहनावे में लोगों को लुभाते रहे। बाद में उन्होंने भी ज्योतिष की महत्ता पर प्रकाश डाला।
महिला दिवस पर विशेष सत्र
सम्मेलन में महिला दिवस पर महिला ज्योतिषियों का एक विशेष सत्र रखा गया जिसमें जोधपुर की अर्चना प्रजापति, इंदौर की कामना शर्मा, नई दिल्ली की रेखा बिष्ट, अहमदाबाद की झरना गोस्वामी, कोलकाता की सीमा जैन, अहमदाबाद की दीपल शाह, उदयपुर की कल्पना शर्मा, उत्तरा शर्मा, प्रमिला माथुर आदि ने चर्चा की। इसमें झरना गोस्वामी के कैंसर डायग्नोसिस वाले शोध को काफी सराहा गया। इसी प्रकार कोलकाता की सीमा जैन के रेमेडियल ज्योतिष को भी दर्शकों की खूब तालियां मिलीं। अर्चना प्रजापति ने पिरामिड वास्तु पर तो उदयपुर की कल्पना शर्मा एवं उत्तरा शर्मा के केपी आधारित ज्योतिष पर अपने विचार व्यक्त किए। देश भर सहित विदेशों से भी करीब 250 से अधिक ज्योतिष, वास्तुशास्त्री एवं वैदिक विद्वानों ने हिस्सा लिया। सम्मेेलन में वैदिक विधियों से आमजन को निशुल्क परामर्श दिया गया।
सम्मेलन के सहआयोजक अशोक महाराज ने बताया कि इंस्टीट्यूट की ओर से मध्यप्रदेश के इंदौर सहित अन्य शहरों में तीन महासम्मेलन के बाद यह चौथा महासम्मेलन है। उद्घाटन सत्र में उदयपुर के मुरली राजानी, हरीश राजानी, प्रताप राय चुघ आदि भी पहुंचे।
-पण्डित कमलनाथ वशिष्ठ ने कहा कि आजकल ज्योतिष को कमाई का धन्धा बनाने वालों की वजह से यह विद्या अदनाम हो रही है, लेकिन जिसके पास अपने ईष्ट का साधन हैं उसके लिए ज्योतिष आसान है, ज्योतिष मे दिक्षा हासिल करने के लिए गुरू बनाना आवश्यक हैं। सिर्फ पुस्तको को पढकर ज्योतिष विद्या नही मिलती क्योंकि बिना मंत्र ज्योतिष अधूरा हैं। ज्योतिष विद्या से उपाय तभी हो पायेगा जब मंत्र लयबद्ध हो।
– पण्डित सूर्य प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि ज्योतिष के लिए हर मनुष्य को ज्योतिष को कैसे आगे बढाये उसका प्रसंग ज्ञान लेना है इसके लिए प्रण लेना है। ज्योतिष को प्राप्त करने के लिए साधनाएं करना जरूरी है, गणपति आराधना, ओम का जाप करना साधना है। पत्रिका लिखने का समय सुबह 9 बजे बाद होता है। ज्योतिष मे उपाय ऐसे हो जिसे हर व्यक्ति कर सके चाहे वह अमीर हो या गरीब।
– पंडित निरंजन भट्ट ने कहा कि ज्योतिष विद्या को बनाए रखने के लिए ज्योतिष पर अपनी सोच एवं खोज को प्रखर करना आवश्यक हैं। आज लोग ज्योतिष से धनोपार्जन कर रहे हैं, पर परोपकार भी करना जरूरी हैं। कर्मकाण्ड करने वाले दिन में 4-5 बार बिना मुहूर्त के भी मुहूर्त निकाल कर काम करते है और दक्षिणा प्राप्त करते हे जो गलत हैं। मुहूर्त का हस्तरेखा देखने का, भविष्यवाणी, उपाय बताने सभी का अपना समय निर्धारित हैं।