उदयपुर। भंवर म्हानैं पूजण दयो गणगौर.., ऐ जी हां सा म्हारी घूमर छे नखराळी ये… घूमर सहित विभिन्न राजस्थानी लोकगीतों के साथ मेवाड़ महोत्सव के तहत पहले दिन बुधवार को गणगौर की सवारी निकाली गई। विभिन्न समाजों की गणगौर-ईशरजी को सिर पर लिए महिलाएं बैण्डबाजे व लवाजमे के साथ गणगौर घाट पहुंची।
इससे पहले सुबह घरों में महिलाओं ने नए वस्त्र पहनकर गणगौर की पूजा की। पार्वती एवं ईशरजी की विधि-विधान से पूजा की गई। अन्न से बनाए पकवान व मिष्ठान का उन्हें भोग लगाया गया।
पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में लोक कलाकारों ने राजस्थानी नृत्या प्रस्तुवत किए वहीं मांगणियार कलाकारों ने भी अपनी गायकी की अनूठी कला पेश की। शाम को विभिन्न समाजों कहार भोईवाड़ा, राजमाली, पूर्बिया कलाल समाज आदि की ओर से बैण्डबाजे के साथ गणगौर की शोभायात्रा निकाली गई जो गणगौर घाट पहुंची। विभिन्न समाजों की झांकियां भी सजाई गई थी तो युवकों ने घूमर नृत्यग भी किया। वहां गणगौर को जल के कुसुम्बे दिए गए। पूरे रास्ते में गणगौर देखने के लिए महिलाओं सहित बच्चों और लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। रास्ते में मकानों में खिड़कियों, छतों तक पर लोग जमा थे। जगदीश चौक स्थित जगदीश मंदिर की सीढि़यों पर भी महिलाएं बैठी हुई थीं। विदेशी पर्यटकों ने भी उत्सव का आनंद लिया। पूरे मार्ग पर पुलिस का जाब्ता तैनात था।