उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे आचार्य चंद्रानन सागर, पुष्पचंद्र सागर, मनन चंद्र सागर, साध्वी कल्पिता एवं साध्वी चारूताश्री के गाजे बाजे के साथ धूलकोट जैन मंदिर पधारने पर तपागच्छ उद्गम स्थल आयड़ तीर्थ में महासभा सदस्यों ने स्वागत एवं अभिनंदन किया।
महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आचार्य श्री को हाथी-घोड़े, बैंड बाजे के साथ स्वागत करने के लिए आयड़ तीर्थ पर महिलाएं कलश लेकर मंगल गीत जाते हुए चल रही थीं। इस अवसर पर महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, मंत्री कुलदीप नाहर, रविप्रकाश देरासिया, सतीश कच्छारा, यशवंत जैन, तेजसिंह नागौरी, किरणमल सावनसुखा, भोजराज लोढ़ा, इंद्रसिंह धूप्या आदि आयड़ जैन मंदिर के ट्रस्टी लोगों ने आचार्य श्री का स्वागत-अभिनंदन किया। उसके पश्चात आचार्य श्री ने पांचों मंदिर एवं धर्मशाला का भी अवलोकन किया। आचार्य श्री चंद्रानन सागर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि असहाय और जरूरतमंद की सेवा ही सच्ची पूजा है। आज मनुष्य में संवेदना नाम की कोई वस्तु ही नहीं रही। अधिकतर लोगों की सोच बहुत छोटी होती जा रही है। मानवीय मूल्यों का हृास होता जा रहा है। आज दूसरों की सेवाभाव मात्र किताबों की बातें बनती जा रही हैं। प्रारंभ में आयड़ भक्ती मंडल की अध्यक्ष रेणु पितलिया, मंजू भाणावत आदि ने स्वागत की प्रस्तुतियां दीं। सभा में सुरेखा लोढ़ा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हस्तीमल लोढ़ा का बहुमान किया गया। कार्यक्रम का संचालन महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने किया।