तृप्ति शाक्या के भजनों से गूंजा चित्रकूट धाम
रामकथा में चौथे दिन उमडा़ जनसैलाब
चित्तौड़गढ़। रामकथा के चौथे दिन व्यासपीठ से मुरारी बापू ने कहा कि प्रतिष्ठाा के कारण कभी भी निष्ठाग को मत बदलो। देह का नर्तन रुक सकता है लेकिन आत्मा कोई नहीं रोक सकता। अपनी कथा मानस मीरा का प्रसंज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि मीरा कृष्णा की अनन्य भक्त थीं और मीरा के जीवन में पार्वती की अनन्यता का दर्शन होता है।
बुद्धि व्यभिचारिणी होने से मना करती है इसलिए कृश्ण के अनन्य भक्त चरण के अलावा कुछ नही देखते हैं। भक्तों को अपने प्रभु के चरण देखने के अलावा और कुछ देखने का समय ही नहीं मिलता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा करने से दूसरे अंगों का उपहास या उपेक्षा होती है। अनन्यता का भेद मूलक नहीं होना चाहिए। मीरा की अनन्यता भी अखण्ड और भाव मूलक थी।
मीरा की धरा चित्तौड़ में चल रही मुरारी बापू की रामकथा के चौथे दिन गुरूवार को श्रोताओं की आस्था में ओर प्रगाढ़ता दिखी। कहीं विश्राम कहीं भोजन तो कहीं कीर्तन में डूबे श्रद्धालु आनंदोत्सव का आनंद ले रहे थे। व्यासपीठ से चित्रकूट धाम इंदिरा गांधी स्टेडियम के पाण्डाल में मौजूद 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए बापू ने कहा कि विदुर नीति में महाकुल के सात लक्षण होते है। जो आदमी तप करता है, उसका कुल महान होता है। बापू ने बताया कि गीता भी कहती है कि शाश्वतत धर्म रखो। भले माला मत जपो लेकिन मन में बुरा भाव मत रखों। साधु जीवन जीने के बाद भी कुछ सहना पडे़ तो यह तप है। साधू का कुल और मूल नहीं देखा जाता है। साधू की परिभाषा को समझनी है तो यज्ञ के पास बैठो, अग्नि के पास बैठो।
मौन साधन भी और साध्य भी : मुरारी बापू ने कहा कि सम्बन्ध का महत्व नही, साथ का होता है। सम्बन्ध छूट जाता है लेकिन साथ नही छूटता है। अपने गुरू को जनम मरण का साथी बनाओं। अविनाशी का साथ रखों और विनाषी से सम्बन्ध रखों। उत्तम वाणी मौन है। चुप को जो समझ गया वो समझा हुआ है और जो समझा है वो चुप हो गया है। जितना जरूरी हो उतना ही बोलना चाहिए। यदि बोलना पडे तो सत्य ही बोलों।
कृष्ण और मीरा भक्ति का अवतार : मुरारी बापू ने रामकथा के दौरान कृश्ण प्रिया रुक्मिणी को भक्ति का छठा अवतार बताया है। बापू ने बताया कि रुक्मिणी ने बिना शर्त समर्पण किया है। उन्होंने कहा कि गुण देखकर भक्ति नहीं की जा सकती है। किसी को कबूल करना हो तो उसकी समस्त कमजोरियों के साथ कबूल करना चाहिए। बापू ने बताया कि भक्ति का सातवां अवतार तुलसी है। जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां भक्ति होती है। तुलसी औशधियों की औशधी और ठाकुरजी के कण्ठ का आभूषण है। तुलसी में राम लक्ष्मण जानकी तीनों समाये हुए हैं। कृष्ण भगवान का आठवां अवतार है और मीरा बाई भक्ति का आठवां अवतार है।
तृप्ति शाक्या की रंगारंग प्रस्तुतियां
‘तड़प ये दिन रात की…, तु इस तरह से मेरी जिन्दगी में शामिल है…, जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है, मौसम है आषिकाना ऐ दिल कही से उनको ऐसे में ढूंढ ला… जैसे तरानों पर पार्श्वह गायिका तृप्ति शाक्या ने अपनी सुरीली आवाज से ऐसा सुर छेड़ा कि हजारों की संख्या मं भरा चित्रकूट धाम तालियों की आवाज से गूंज उठा। मौका था संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित दूसरे दिन कि सांस्कृतिक संध्या का। शाक्या की रंगारंग प्रस्तुतियों के बीच मिराज ग्रुप के सीएमडी मदन पालीवाल ने खुशी की ये रात आ गई कोई गीत बजने दो सुनाया और अपने निराले अंदाज में मंच पर आकर तृप्ति शाक्या के साथ पत्थर से शीशा टकरा के वो कहते है दिल टूटे ना, ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर एक जान है, किसी राह पे किसी मोड पर कही चल ना देना तू छोड़कर, महबूब मेरे महबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हसीन है, क्या खुब लगती हो बड़ी सुन्दर दिखती हो जैसे नगमों को गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। तृप्ति ने स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि आज विश्वक के महान संत मुरारी बापू के सामने गाने का अवसर मिला है। मंच पर पहुंचने पर मुरारी बापू ने तृप्ति शाक्या एवं उनके साथियों का सम्मान किया।