साढ़े सात हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए थे धीरावत
उदयपुर। दो साल पहले साढ़े सात हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार वाणिज्यिक कर विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त को भ्रष्टाचार निवारण मामलों की विशेष अदालत ने दोषी ठहराते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई है।
पैंसठ पृष्ठीय फैसले में अदालत ने कहा कि अपराध करने वाले लोकसेवकों का दुस्साहस न बढ़ सके, ऐसे में आरोपी को सजा दिया जाना न्यायोचित होगा।
प्रकरण के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 30 अप्रेल 2002 को वाणिज्यिक कर विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त घाटोल बांसवाड़ा मूल हाल श्री कॉम्पलेक्स कॉलोनी बडग़ांव निवासी तेजपाल पुत्र सज्जानलाल धीरावत को साढ़े सात हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ राजेश सुवालका एण्ड कंपनी, लोढ़ा कॉम्पलेक्स के चार्टर्ड अकाउण्टेन्ट राजेश पुत्र भगवतीलाल माहूर ने शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें बताया कि वह यहां लेखाकार के रूप में कार्यरत है तथा वाणिज्यिक कर विभाग में विभिन्न फर्मों के असेसमेंट का कार्य करवाता था। उसके कार्य क्षेत्र के सहायक कमिश्नर तेजपाल धीरावत है। जिन्होंने असेसमेंट के नाम पर गुलशन मार्बल प्राइवेट लिमिटेड, ऋषभ मिनरल, त्रिपुति बालाजी, बनारसी मार्बल स्टोन प्राइवेट लिमिटेड का असेसमेंट वर्ष 1999-2000 में करवाया था। जिसके एवज में उन्होंने सभी फर्मों से 55 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी। साथ में उसे चेतावनी दी थी कि रिश्वत राशि नहीं दी तो वे संबंधित फर्म व विभाग के बीच उसके असेसमेंट कार्य को बंद करा देंगे। हालांकि बाद में वे पैंतीस हजार रुपए की रिश्वत लेने पर सहमत हो गए थे। सात हजार रुपए की व्यवस्था होने पर धीरावत ने रकम लेकर उसे अपने कार्यालय बुलाया था। जहां रिश्वत लेते ही वह पकड़े गए थे। मामले में चालान पेश किए जाने पर अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक राजेश धडक़े ने पंद्रह गवाह तथा 35 साक्ष्य पेश किए थे। आरोप प्रमाणित होने पर अदालत ने तत्कालीन सहायक आयुक्त धीरावत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1)(डी) सपठित धारा 13 (2) के तहत दोषी मानते हुए दो साल की कड़ी कैद तथा दो हजार रुपए का जुर्माना सुनाया।