आचार्य महाश्रमण के जन्मदिवस, दीक्षा एवं पदाभिषेक दिवस पर आयोजन
उदयपुर। आज कितना सुहाना दिवस है। मदर्स डे यानी मां का दिन। मां अपने बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण कैसे करें, ऐसे कि बच्चे न सिर्फ मां-बाप, बल्कि समाज, नगर, राज्य और देश का नाम रोशन करे। ऐसे ही एक बच्चे का जन्मदिवस हम आज यहां मना रहे हैं। ऐसा बच्चा जो बालपन में मोहन और 12 वर्ष की उम्र में दीक्षा के बाद मुदित बना और फिर युवाचार्य से आचार्य महाश्रमण के रूप में प्राप्त अपने संस्कार और प्रवचन दुनिया भर में फैला रहे हैं।
ये विचार साध्वी कनकश्रीजी ठाणा 5 ने व्यक्त किए। वे रविवार को महाप्रज्ञ विहार में जैन तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित आचार्य महाश्रमण के जन्मदिवस, पदाभिषेक दिवस एवं दीक्षा दिवस पर आयोजित सभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि समर्पण से ही व्यक्ति को कुछ मिल सकता है। समर्पण वह जहां गुरु ने कहा, वहां समर्पण कर दिया। कोई शर्त नहीं हो कि अगर ये होगा तो मैं ये करुंगा। आचार्य महाश्रमण की अध्यात्म निष्ठा, आगम निष्ठा बेजोड़ है। आचार्य महाश्रमण आगम का गंभीर अध्ययन करते हैं। आगम के अध्ययन से भीतर का ज्ञान जागृत होता है। उनका व्यक्तित्व, समय प्रबंधन, वाणी प्रबंधन ओजपूर्ण है। अच्छे नेतृत्व के लिए पहले अच्छा श्रवणकर्ता होना जरूरी है। उनकी प्राण शक्ति प्रखर है। ऋजुता, सहजता के मिश्रण के वे विलक्षण आचार्य हैं। चिंतनशील, मननशील और अध्ययनशील व्यक्ति ही आज के युग की समस्याओं का समाधान कर सकता है और आचार्य में इन तीनों गुणों का समावेश है। उन्होंने कहा कि जैसे भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में पूरा लोक नाप लिया था ठीक यह वैसा ही है कि हम ५२ वर्ष का आचार्य का जीवन सफरनामा और ४० वर्षों के संयम के सफरनामा पर दो घंटे में बखान करना न सिर्फ मुश्किल बल्कि असंभव है।
साध्वी वीणा कुमारी, साध्वी समितिप्रभा, साध्वी मधुलेखा एवं साध्वी मधुलता ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुनि सुमेरमल से प्राप्त संस्कारों के बाद आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ का सान्निध्य मिला और प्रारब्ध के भरोसे न रहकर अपने पुरुषार्थ के बल पर आचार्य महाश्रमण आज शीर्ष पर हैं और धर्मसंघ की ख्याति फैला रहे हैं। इन्होंने कहा कि धर्म के प्रति हम कितने समर्पित हैं? इस पर स्वयं विचार करें। जब तब अपना स्वार्थ है तब तक समर्पण रहता है। स्वार्थ समाप्त होते ही समर्पण भी खत्म हो जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। समर्पण में लेकिन, किंतु, मगर, परंतु नहीं होता। आचार्य महाश्रमण को आचार्य महाप्रज्ञ से महातपस्वी की उपाधि उदयपुर में ही मिली। आचार्य तुलसी ने उदयपुर में ही हुए मर्यादा महोत्सव में आचार्य महाप्रज्ञ को गौरव प्रदान किया। हालांकि तप सरल नहीं है लेकिन जनता की सेवा के लिए दर दर घूमना भी इतना सरल नहीं है।
तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष मंजू चौधरी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष गणेश डागलिया एवं तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष निर्मल कुणावत ने भी आचार्य महाश्रमण के जीवन वृतांत पर विचार व्यक्त किए।
इससे पूर्व साध्वीवृंदों ने आज खिला है संघ बगीचे में सतरंगा फूल शीर्षक की मधुर स्वर में सामूहिक रूप से गीतिका प्रस्तुत की जिससे सभागार ओम अर्हम् की ध्वनि से गूंज उठा। मंगलाचरण शशि चह्वाण एवं सीमा कच्छारा ने किया। कन्या मंडल की मिनी सिंघवी एवं महिला मंडल की बहिनों ने गीतिका प्रस्तुत की।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य तुलसी का अनुशासन और आचार्य महाप्रज्ञ की करुणा से निर्मित आचार्य महाश्रमण आज विशाल धर्मसंघ का बखूबी नेतृत्व कर रहे हैं। तेरापंथ के इतिहास में 100 मुनि दीक्षाओं का लक्ष्य लेकर चले आचार्य अपने पथ की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष साध्वी कनकश्रीजी ससंघ का चातुर्मास उदयपुर में है। इससे पूर्व वे उपनगरों में विहार करेंगी। महाप्रज्ञ विहार में 15 दिन के प्रवास के बाद वे सोमवार सुबह 7.15 बजे विहार करेंगी जहां से 12 व 13 मई को मोतीमगरी स्कीम में इंदुबाला पोरवाल, 14 मई को पंचवटी स्थित लक्ष्मणसिंह कर्णावट, 15 मई को पोलोग्राउंड में अशोक दोशी, 16 मई को न्यू अहिंसापुरी स्थित मिश्रीलाल लोढ़ा एवं 17-18 मई को अम्बामाता स्थित महावीर स्वाध्याय केन्द्र पर विराजित रहेंगी। इस सप्ताह के दौरान सुबह 6.15 बजे वृहद् मंगलपाठ 9.15 से 10.15 तक प्रवचन, दोपहर 2 से 2.30 बजे तक सेवा एवं रात्रि 8.15 बजे अर्हत वंदना व प्रवचन के संभावित कार्यक्रम होंगे।
फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण के दीक्षा दिवस पर पूरे देश भर में 13 मई को की जाने वाली कैंसर जागरूकता संगोष्ठी के तहत तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के सभागार में सुबह 9 से 10.15 बजे तक कार्यक्रम होगा। इसी प्रकार 13 मई को तेरापंथ भवन में आध्यात्मिक प्रशिक्षण कार्यशाला तथा 15 मई को महिला मंडल की पाक्षिक संगोष्ठी होगी। संचालन सभा के मंत्री अर्जुन खोखावत ने किया।