महंगी मशीनें खरीदने की आवश्य्कता नहीं
जुगाड़ तकनीकों से हो सकती है झील सफाईं
उदयपुर। झीलों की स्वच्छता के लिए कम लागत की आसान व स्थानीय स्तर पर विकसित मशीनी तकनीकों के बजाय भारी दामों पर महंगी तकनीकी मशीनें खरीदी गई हैं जो जनता के धन का दुरुपयोग है।
ये विचार डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्टी की बैठक में रविवार को श्रमदान के बाद हुए संवाद में वक्तायओं ने व्यमक्त् किए। चांदपोल नागरिक समिति के अध्यक्ष तेजशंकर पालीवाल, ट्रस्ट के सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि तकनीकों की सफलता तभी है जब उन्हें सरलता से स्थापित व संचालित किया जा सके एवं उससे नागरिकों का जुड़ाव हो। झीलों, नदियों सहित सभी जल स्त्रोतों की सुधार की समस्त तकनीके पर्यावरण अनुकुल होनी चहिये। अधिक ऊर्जा खपत वाली जटिल तकनिकी उपायो से बेह्तर ईको तकनीकियां हैं। विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर सहित देश के कई हिस्सों में पर्यावरण अनुकूल तकनीकों के मॉडल बने हैं। शहर की झीलों एवं आयड़ नदी क़े सुधार के ये मॉडल आधार बनने चाहिए।
एसपीडब्यूडी तथा इण्डिया वाटर पालिसी रिसर्च की अनीता भादुड़ी ने कहा क़ि झीलों का काला पानी दर्शाता है कि झीलें घोर प्रदूषित हैं। इस अवसर पर पंखों की झाली से कचरा संग्रहक बनाकर पिछोला झील से जलीय घास, शराब कीं बॉटल्स, पॉलीथिन, प्लास्टिक खरपतवार, पूजन हवन व खाद्य सामग्री सहित कचरा निकाला ग़या। श्रमदान के दौरान देसी विदेशी पर्यटकों ने श्रमदानियो के श्रमदान को सराहा। श्रमदान में तेजशंकर पालीवाल, प्रकाश तिवारी, राजू भाई हेला, लोकपालसिंह भटनागर, चौहान मोहनसिंह, दुर्गाशंकर पुरोहित, कुलदीपक रामलाल गहलोत, अनिल महता, कामाख्या, नंदकिशोर शर्मा सहित कई नागरिकों ने भाग लिया।