उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव स्थित ग्रामीण परिसर शिल्पग्राम में मेवाड़ तथा मारवाड़ अंचल के प्रसिद्ध लोक नृत्य ‘तेराताल’ पर पांच दिवसीय कार्यशाला 26 मई से शुरू होगी जिसमें दोनों अंचलों के 50 कलाकार भाग लेंगे।
केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने बताया कि मेवाड़ तथा मारवाड़ क्षेत्र में निवास करने वाली कामड़ जाति के लोगों द्वारा लोक आराध्य बाबा रामदेव की भक्ति स्वरूप एक विशेष प्रकार का नृत्य किया जाता है जिसे तेराताल नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य में नर्तकियाँ अपने शरीर पर तेरह मंजीरे बांधती हैं तथा अंगुलियों में बंधे मंजीरों को हवा में लहराते हुए भजनों की लय शरीर पर बंधे अन्य मंजीरों से टकराती हैं। उन्होंने बताया कि इस शैली में जहां नृत्य पक्ष दर्शनीय होता है वहीं गायन पक्ष भी इसका प्रमुख अंग है। शिल्पग्राम में 26 सें 30 मई तक आयोजित कार्यशाला में इस नृत्य शैली के दोनों पक्षों पर कार्य करते हुए उसे निखारने का कार्य किया जायेगा। कार्यशाला में मेवाड तथा मारवाड़ अंचल के गांव ढोल, कमोल, पादरला, सिघाड़ा, समीचा, सेमड़, छिपाल, करदा, गुंदाली, ददिया, पानेर, जेमली आदि से 55 लोक नर्तक व नर्तकियाँ भाग लेंगे।
दशोरा ने बताया कि पांच दिवसीय कार्यशाला में चौतारा वादक महेशाराम मेघवाल, जैतारण की नृत्यांगना सुमित्रा कामड़ तथा मुश्ताक मांगणियार नृत्य के संगीत व नृत्य पक्ष को बेहतर बनाने पर कार्य करेंगे। साथ ही कला के वरिष्ठ कलाकार मोहनदास, दलदास तथा वखतदास को भी कार्यशाला में बुलाया गया है जिनके सानिध्य में इस कला के प्रदर्शनकारी पक्ष को निखारने का काम किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन 26 मई को प्रातः साढ़े ग्यारह बजे किया जाएगा।