उदयपुर। रविन्द्रनाथ टैगोर मेडीकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूता रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. सुधा गांधी ने कहा कि 60 प्रतिशत महिलाओं की समस्याएं अपने फिगर को लेकर होती है। महिलाएं स्वस्थ होगी तो परिवार भी स्वस्थ होगा। इसलिए महिला के जीवन में होने वाले हर प्रकार के परिवर्तन पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये। उस समय महिला को फिजिकल चेलेन्ज का भी सामना करना पड़ता है।
वे कल रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित ‘परिवार स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन’ विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थी। उन्होनें कहा कि यदि मासिक धर्म में देरी हो तो उसका इन्तजार किया जा सकता है लेकिन यदि किसी महिला को माह में एक बार के स्थान पर जल्दी-जल्दी मासिक धर्म हो तो यूट्रस की तुरन्त जांच करानी चाहिये।
उन्होनें कहा कि 35 वर्ष की उम्र के बाद मां बनने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का समाना करना पड़ता है। यदि किसी महिला का मासिक धर्म बंद होने के एक वर्ष बाद पुन: मासिक धर्म शुरू होता है तो उसे इसे हल्के में नहीं लेकर इसकी तुरन्त जांच करायी जानी चाहिये।
डॉ. बी. एल. सिरोया ने कहा कि मासिक धर्म बंद होने के बाद हारमोन परितर्वन के कारण ओस्टियेापोरोसिस की समस्याएं काफी बढ़ जाती है। इससे महिलाओं में मन नहीं लगना, वजन बढ़ जाना, थकान आना, बैठे-बैठे पसीना आना, चिड़चिड़ापन आना आदि बदलाव देखने को मिलते हैं। क्लब अध्यक्ष बी. एल. मेहता ने भी विचार व्यगक्तआ किए। प्रारम्भ में राजेन्द्र चौहान ने ईश वंदना प्रस्तुत की जबकि अन्त में डा. बी. एल. सिरोया ने धन्यवाद दिया। नरेन्द्र धींग ने डॅा. सुधा गांधी को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।