वनवासी कल्याण परिषद का पांच दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर
उदयपुर। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि देश के हालात अच्छेर नहीं हैं। वर्तमान में देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। देश की संस्कृति, जीवन, राष्ट्र व धर्म को बचाने के लिए किसी सत्ता परिवर्तन की नहीं वरन् जीवन में प्राप्त संस्कारों से परिवर्तन कर इन्हें बचाया जा सकता है और ये संस्कार माता-पिता, गुरु से मिलते हैं।
वे कल राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद द्वारा हिरण मगरी से. 4 स्थित विद्या निकेतन स्कूल में लगाये गये पांच दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर के समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि घर-घर में छत्रपति शिवाजी जैसा बेटा व मां जीजाबाई जैसी मां होनी चाहिए जिन्होंने देश व संस्कृति को बचाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। हमारा जीवन धर्म, संस्कृति एवं राष्ट्र के लिये समर्पित होना चाहिये।
इस अवसर पर क्षेत्रीय संगठन मंत्री अश्विन ने कहा कि देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी बंधुओं के हित में अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत गांव-गांव में बालवाड़ी, स्कूल, माध्यमिक शाला, खेलकूद केन्द्र का वनवासी कल्याण परिषद द्वारा संचालन किया जा रहा है। प्रक्षिशिका सुशीला लढ्ढा ने कहा कि शिविर में भाग लेने वाले वनवासी बालक-बालिकाओं व महिला-पुरूषों के लिए यह उचित समय है जब वे यहां से अर्जित किये गये संस्कारों का अपने क्षेत्र में फैला कर देश कल्याण करें।
डॅा. विजयलक्ष्मी चौहान ने कहा कि संस्कार शिविर के जरिये हम भावनात्मक पहलुओं को समझ कर उसे जीवन में उतार सकते हैं। हमें आत्मं मंथन व आत्मावलोकन की आवश्यकता है। शिविर में 109 वनवासी बालक-बालिकाओं व महिला-पुरूषों ने भाग लिया। इस अवसर पर कुछ प्रशिक्षणार्थियों ने शिविर में प्राप्त अपने अनुभव सुनाएं। शिविर में प्रशिक्षणार्थियों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के तहत चित्रकला एवं खेलकूद की प्रतियोगिताएं कराकर उनके भीतर छिपी प्रतिभाओं को बाहर लाने का प्रयास किया गया। अंत में क्रांति ने धन्यवाद दिया।