उदयपुर। जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ मालदास स्ट्रीट द्वारा आयोजित आचार्य देवेश विजय रत्नसेन सूरिश्वर की शुभ निश्रा में चल रहे तरुण संस्कार शिविर के चोथे दिन गुरु भगवंत ने माता-पिता के उपकारों पर व्याख्यान दिया।
प्रवचन में गुरु भगवंत ने कहा कि मां-बाप के उपकारों को कभी भूलना नहीं चाहिए। उनके उपकारों को भूलना मानव की सबसे बड़ी भूल होती है। जो व्यक्ति उनके उपकारों को भूल जाता है वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। चाहे उसके पास कितना ही धन समृद्धि, ऐश्वर्य हो बिना मां-बाप के ये सब माटी के बराबर हैं। जब मां-बाप चार बेटों को साथ रखकर पूरी जिंदगी उनका लालन-पालन कर सकते है तो चार बेटे क्योंे नहीं मिलकर मां-बाप को साथ में रखकर सेवा नहीं कर सकते। सरकार को भी एक विधान बनाना चाहिए कि जो व्यक्ति अपने मां-बाप की सेवा न करे, उसे भी नियमानुसार दंड मिले ताकि बूढे़ मां-बाप को बुढ़ाने में बेटों के कारण कोई तकलीफ न देखनी पड़े।
संघ प्रवक्ता प्रकाश नागोरी ने बताया कि करीब 300 शिविरार्थी की उपस्थिति में शिविर का उद्घाटन मुख्य अथिति थोब की बड़ी जैन मंदिर के अध्यक्ष मनोहर सिंह नलवाया ने मां सरस्वती व गुरुदेव भाद्रंकर विजय की तस्वीर पर माल्यार्पण व धूप दीपक कर किया। तत्पश्चात मां सरस्वती की वंदना के साथ शिविर प्रारंभ हुआ। रोशन लाल मंदावत, शिविर संयोजक मोतीसिंह मेहता, रवि मोरदिया, सुनील चेलावत राजेश जावरिया, गजेन्द्र नाहटा, अरुण कुमार बडा़ला ने विचार व्यक्त किए। शिविर समाप्ति के पश्चात् सभी को पारितोषिक संघ अध्यक्ष के हाथों से वितरित किए गए। धन्यवाद गजेन्द्र नाहटा ने दिया। संचालन अरुण कुमार बडा़ला ने किया।