पशुओं के संपर्क में रहने वालों में होती है यह बीमारी
उदयपुर। भीलों का बेदला प्रतापपुरा स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में कीडे़ से होने वाले ट्यूमर की बीमारी का सफल ऑपरेशन किया गया। तेजाबास कुण्डाए निवासी मोहनलाल चौहान कई महीनों से पेटदर्द से परेशान था जिसका यहां सफल ऑपरेशन किया गया।
संस्थान के डॉ. डी. पी. अग्रवाल ने बताया कि मोहनलाल ने कई जगह दिखाया लेकिन महंगे इलाज के कारण उपचार नहीं करा पाया। मोहनलाल के परिजनों ने पीएमसीएच में डॉ. के. सी. व्या स को दिखाया तो जांच में मोहनलाल के पेट में गांठें पाई गई। डॉ. व्यास ने बताया कि मरीज के ऑपरेशन के दौरान देखा कि पेट में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां अण्डे न हों। दो बडी़ सिष्ट लीवर में थी जिनमें से बहुत सारे छोटे-छोटे अण्डों के साथ-साथ करीब 6 लीटर पानी भरा था। अलग-अलग रूप एवं आकार की सिष्ट (हाइड्रोसिस्ट) कहते हैं आतों के बीच, पेशाब की थैली, तिल्ली के पास, पित्त की थैली के पास आदि जगहो पर थी। डॉ. व्यांस ने बताया कि एक दो हाइड्रोसिस्ट का लीवर अथवा फेफडे़ में होना अक्सर देखा जाता है लेकिन जिस प्रकार से 40 से 45 हाइड्रोसिस्ट पूरे पेट में समाई थी मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था युवक में कीडे़ के अण्डे बार-बार प्रवेश कर ट्यूमर का रूप धारण किए हो। मोहनलाल अब पूरी तरह स्वस्था है।
डॉ. गौरव वधावन ने बताया कि शरीर के अन्दर पाए जाने वाली हाइड्रोसिस्ट एक विशेष कीडे़ का अण्डा होता है जिसके उपर कवच चढा़ होता है और यह अण्डा शरीर के जिस भी अंग में पहुंचता है वहां धीरे-धीरे आकार में बडा़ होना शुरू हो जाता हैं। इस सिष्ट का सबसे प्रिय निवास स्थान या तो फेफडा होता है या फिर लीवर। अण्डों को जन्म देने वाले वाले कीडे़ का नाम इकाइनोकोकस ग्रनुलोसस होता है और यह मनुष्य के शरीर में न होके कुत्ते, लोमडी, गाय, भैस, बकरी, भेड़, घोडा़ आदि के आंतों में रहता हैं। यह बीमारी इन जानवरो के ज्यादा सम्पर्क में रहने एवं साफ सफाई न रखने के कारण फैलती हैं।
इस ऑपरेशन को डॉ. के. सी. व्यातस, डॉ. गौरव वधावन, डॉ. बी. एम. सोनी डॉ. कमलेश, डॉ. प्रकाश, डॉ. अनिता, डॉ. विमला, अजय चौधरी, नरेन्द्र एवं नितेश की टीम ने अंजाम दिया।