डीएनए फिंगरप्रिंटिग प्रयोगशाला का उद्घाटन
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने कहा कि आधुनिक परिवेश में डीएनए आधारित शोध को बढ़ावा मिलना चाहिए जो कि भविष्य में उन्नत खेती का मार्ग प्रशस्त करेगा और किसानों के लिए लाभकारी पद्धतियां उपलब्ध करायेगा। साथ ही भविष्य में इस तरह के अनुसंधानों को ओर गहराई से करने की आवश्याकता पर जोर दिया।
वे राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत आणविक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग (एमबीबीटी) में डीएनए फिंगरप्रिंटिग एवं पादप आणविक जीवविज्ञान प्रयोगशालाओं के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्हों ने प्रयोगशाला का उदघाटन किया। राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. आर. मालू, आणविक जीव विज्ञान एवं जैवप्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुणाभ जोशी, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. वाई. सी. भट्ट, महाविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, कर्मचारियों के अलावा आणविक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सदस्यगण डॉ. विनोद सहारण, डॉ. देवेन्द्र जैन, डॉ. एस. के. खण्डेलवाल, डॉ. निमिषा पठानिया, डॉ. गणेश राजामाणि, डॉ. अजय शर्मा एवं विभाग के पीएचडी और स्नातकोतर के छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ. एस. आर. मालू ने कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल को विभाग में डी.एन.ए. फिंगरप्रिंटिग, पादप आणविक जीवविज्ञान, नैनोटेक्नोलोजी पर चल रहे विभिन्न अनुसंधानों की जानकारी प्रदान की। एमबीबीटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुणाभ जोशी ने बताया कि डीएनए फिंगर प्रिंटिग प्रयोगशाला का निर्माण राजस्थान सरकार के राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत हुआ है। वर्तमान में डीएनए फिंगरप्रिंटिग प्रयोगषाला में राजस्थान के लिए उपयोगी विभिन्न धान्य, दलहनी, मसाले, तिलहनी और औषधीय फसलों पर अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।
अनुसंधान परिषद की बैठक : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान परिषद की बैठक में प्रो. गिल ने कहा कि विकास की सीढ़ी पर आगे बढ़ने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल आवश्यक हैं। इससे वैज्ञानिक कार्यों में दक्षता बढ़ती है तथा समय एवं साधनों की बचत होती है। प्रोफेसर गिल ने कहा कि वैज्ञानिकों को समय के साथ नई तकनीकों द्वारा फलों, फूलों एवं सब्जियों की उन्नत किस्मों का विकास करना होगा, अनुसंधान में निजी-जन सहभागिता को बढ़ावा देने तथा अनुसंधान फार्मो पर आधुनिक सिंचाई पद्धति को तुरन्त प्रभाव से अपनाने पर जोर दिया।