उदयपुर। अत्यधिक चिन्तनशील पढी़-लिखी महिलाओं में माइग्रेन ज्यादा पाया जा रहा है। समय पर इलाज नही कराने से नेत्र ज्योति नष्ट हो सकती है एवं बधिरता हो सकती है। माइग्रेन होने का मुख्य कारण अत्यधिक तनाव, अनियमित खान-पान, देर रात जागना, अत्यधिक धूप में रहना है।
ये विचार डॉ. शोभालाल औदीच्य ने राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय सिंधी बाजार में बुधवार को माइग्रेन रोग निवारण शिविर में व्यनक्ती किए। उन्होंाने बताया कि अत: माइग्रेन से बचने के लिए रोगी अत्यधिक खट्टे पदार्थ दही, अचार, अमचूर, इमली, बेसन एवं गरिष्ठ भोजन का उपयोग नहीं करे एवं शोरगुल से बचते हुए नियमित योग, समय पर खान पान के साथ ही समय व शान्त स्थान पर सोना चाहिए। शिविर में डॉ. औदीच्य के साथ रूकमणी कलासुआ, अमृतलाल परमार, इन्दिरा डामोर, रामसिंह ठाकुर, गजेन्द्र कुमार आमेटा ने सेवाएं दी।