चांदपोल से शोभायात्रा के साथ हुमड़ भवन में किया प्रवेश
उदयपुर। मीठे प्रवचनकार, णमोकार वाले बाबा आचार्य शान्तिसागर का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश उदयपुर तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में रविवार सुबह 10 बजे हुआ। सुबह 8.30 बजे आचार्य शान्तिसागर ने ससंघ शोभायात्रा के साथ चांदपोल मन्दिर से गणेश घाटी, घण्टाघर, सम्भवनाथ मंदिर, शीतलनाथ मंदिर, अजीतनाथ मंदिर तथा पार्श्वदनाथ मंदिर होते हुए प्रवेश किया।
शोभायात्रा में 101 कलशधारी महिलायें केसरिया वस्त्रों में मंगल गीत गाते चल रही थी, जबकि पुरूष सफेद वस्त्रों में आचार्य श्री के जयकारे लगाते नाचते-गाते चल रहे थे। शोभायात्रा में बैण्ड-बाजों पर धार्मिक गीतों की मधुर स्वर लहरियां गूंज रही थी। शोभायात्रा में दो धार्मिक झांकियां विशेष तौर से सजाई गई थी। शोभायात्रा के मार्ग में 21 स्वागत द्वार लगाए गए थे तथा मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा से शोभायात्रा का सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से स्वागत किया गया।
हुमड़ भवन पहुंचने पर आचार्य शान्तिसागर ससंघ का समाजजनों ने पुष्प वर्षा कर जयकारों के साथ जोरदार स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में मधु चित्तौड़ा तथा महिला मण्डल की बहनें शामिल थी। पुरूष वर्ग में समाज अध्यक्ष शान्तिलाल वेलावत सहित अन्यम समाज बंधु शामिल हुए।
इस दौरान धर्मसभा में आचार्य शान्तिसागर ने सकल दिगम्बर जैन समाज उदयपुर को 22वां पावन वर्षा योग 2014 भव्य ही नहीं अति भव्य और ऐतिहासिक बनाने की अपील की। आचार्य ने कहा कि आज मेरा चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश है लेकिन इस मंगल से कितना मंगल होता हैं यह आप सभी के पुण्य कर्मों पर निर्भर करता हैं। जब तक उपर बैठे व्यक्ति में सुधार नहीं आयेगा तब तक नीचे के तबके में सुधार की बात नहीं की जा सकती। अगर समाज में परिवर्तन लाना है तो पहले स्वयं में परिवर्तन लाकर खुद को बदलना होगा। आचार्यश्री ने कहा कि बच्चे सिखाने से नहीं सीखते बल्कि करके दिखाने से सीखते हैं।
चातुर्मास मंगल कलश स्थापना 12 को : आचार्य ने सकल दिगम्बर जैन समाज के सभी संगठनों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं तथा श्रावकों को चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने की प्रेरणा देते हुए संपूर्ण चातुर्मास की रूपरेखा बताई।