उदयपुर। विश्व नशा निषेध दिवस पर एक निजी चिकित्साोलय के सभागार में हुए कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्सक निषेध अभियान में लगे डॉ. पी.सी. जैन ने कहा कि नर्स एक नशीले व्यक्ति की तुरन्त पहचान कर सकती है और उसकी रोगी और उसके परिवार से निकटता के कारण उसका जीवन बचा सकती है।
बार-बार चोट लगना , दुर्घटना होना, हड्डी टूटना, अनियंत्रित रक्तचाप का बढ़ना, बार-बार ताण आना, उल्टियां आना, भूख न लगना, चमड़ी पर जगह-जगह सूई के निशान होना, अनियंत्रित डायबिटीज का बढ़ना, मानसिक तनाव, आत्महत्या के प्रयास करना, अत्यधिक क्रोध व अन्य कई ऐसे लक्षण है जिनसे एक नर्स अपनी मरीज से निकटता के कारण नशे की शुरूआती अवस्था में ही पता कर सकती है।
उन्होंने ‘‘फाइव ‘ए’ तथा केज’’ टेस्ट के माध्यम से नशे की गंभीरता व उसको कम करने का उपाय बताए। ‘‘नशा’’ एक तरह का रोग है जैसे ‘ऐल्कोलिज्म’, ‘नारकोटिज्म’, इत्यादि इनका ईलाज योग्य चिकित्सक से जितना जल्दी हो करवाने की सलाह नर्स ही दे सकती है और परिवार को समझा सकती है। सामान्यतया नशीले व्यक्ति का ईलाज पूर्ण ‘रिकवरी’ के लिये 2 वर्ष तक चलना चाहिये ताकि वह शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो पूर्व अवस्था में आ सके। नर्स मरीज को नशे के ईलाज के बारे में ‘भ्रान्तियाँ’ और ‘भयों’ को दूरकर उसे इलाज के लिए तैयार कर सकती है। सीडी शो में ‘स्मोकिंग देट किल्स’ का प्रयोग द्वारा प्रदर्शन किया। ‘नशा निवारण’ प्रश्न पत्र सभी ने हल किया तथा ‘नशा न करने व नशा छुड़ाने के इस अभियान में सम्मिलित होने का सभी ने संकल्प लिया व ‘नशा ने छोड़ो रे’ गीतिका सभी ने मिलकर गाई। अरिहन्त नर्सिंग इन्स्टीट्यूट के डायरेक्टर मयंक कोठारी ने बताया कि नशामुक्ति दिवस पर सभी छात्र-छात्राओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे अपने आस-पास के लोगों में नशा मुक्त होने की जाग्रति लाएं। युवा जाग्रति आएगी तो समाज और देश का बेहतर विकास होगा।