जिनेन्द्र मुनि का स्वर्ण जयन्ती दीक्षा महोत्सव, संत समाज ने दी ‘सेवा रत्न’ की उपधि
उदयपुर। अमर जैन साहित्य संस्थान की ओर से हिरण मगरी से. 11 स्थित आदिनाथ भवन धर्मशाला में कवि श्रेष्ठ, उप प्रवर्तक जिनेन्द्र मुनि का 50 वां स्वर्ण जयंती दीक्षा महोत्सव हर्षोल्लास के साथ गया।
इस अवसर पर अपने गुरू के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास एवं संयम को देखते हुए समारोह में उपस्थित संत समाज के राष्ट्रसंत प्रवर्तक गणेश मुनि शास्त्री, लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद रजत मुनि एवं श्रमण संघ गौरव श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने श्रमण संघ की ओर से सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं एवं जैन कॉन्फ्रेंास के पदाधिकारियों की उपस्थिति में जिनेन्द्र मुनि को चादर ओढ़ाकर ‘सेवा रत्न’ की उपाधि से अलंकृत किया।
समारोह को संबोधित करते हुए सौभाग्य मुनि ने कहा कि जिनेन्द्र मुनि ने 50 वर्षों की दीक्षा यात्रा में पूर्ण रूप से संयम जीवन व्यतीत किया। ऐसे शिष्य बहुत कम मिलते है जो संयमित जीवन जीएं। संयम के द्वारा व्यक्ति स्वंय अपना श्रमण करता है और श्रमण से शासक बनता है। जनता में सम्प्रदाय अलग-अलग भरे पड़े है। उनमें काफी विवाद चल रहा है। इस विवाद को मिटाने के लिए संत समाज एक मंच पर एकत्रित हुए है। लोकसंत रूपमुनि म.सा. ने कहा कि मुनि का यही लक्ष्य होना चाहिये कि जीवन में कषाय कम हो। संयम से जीने वाला व्यक्ति अमर हो जाता है। राष्ट्रसंत गणेश मुनि म.सा. ने कहा कि ज्ञान एवं चरित्र से युक्त जिनेन्द्र मुिन संयम के पर्याय है। इस अवसर पर जिनेन्द्र मुनि ने अपनी 50 वर्षो की दीक्षा यात्रा के बारें में विस्तृत जानकारी दी। मदन मुनि ने कहा कि आत्मा का मूल धर्म जीवन है। कवि प्रवक्ता डॉ. अमरेश मुनि निराला ने कहा कि अहंकार को तोडऩे वाला व्यक्ति संत कहलाता है। जिनेन्द्र मुनि गुरु सेवा, संयम एवं स्वाध्याय की प्रतिमूर्ति है।
मुख्य अतिथि जैन कॉन्फ्रेन्स नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष सुमतिलाल कर्णावट ने कहा कि जैन धर्म में दीक्षा लेना बहुत कठिन है और उस दीक्षा को 50 वर्षों तक निभाना बहुत मुश्किल है। दीक्षा का अर्थ आत्म कल्याण एवं भक्ति में लीन रहना है। श्रमण संघ को सर्वाधिक चारित्र निर्माण की आवश्यकता है। व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा के पीछे भागते हुए धर्म को भूलता जा रहा है। जिला प्रमुख्य मधु मेहता ने जैन समाज के अभिभावकों का आव्हान किया कि वे अपने बच्चों में धर्म एवं गुरु के प्रति श्रद्धाभाव पैदा करें। समारोह के साध्वी राजश्री, साध्वी सुलक्षणाश्री, अध्यक्ष लाला आनन्द प्रकाश जैन, नगर निगम महापौर रजनी डांगी, जैन कॉन्फ्रेन्स नई दिल्ली के प्रमुख मागदर्शक नेमीचंद चोपड़ा, जैन कॉन्फ्रेन्स राजस्थान के प्रमुख मार्गदशक दिनेश संचेती, मनमोहन जैन, खटका राजस्थानी ने भी संबोधित किया।
वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने संतों की दीर्घायु की कामना करते हुए कहा कि सोमवार को हिरणमगरी से. स्थित महावीर भवन में संयम मुनि की बड़ी दीक्षा होगी। प्रारम्भ में संस्थान के अध्यक्ष भंवर सेठ ने स्वागत उद्बोधन में संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निकट भविष्य में चित्रकूट नगर में 2 करोड़ की लागत से 1 हॉस्पिटल का निर्माण कराया जाएगा। संस्थान ने अब तक गणेश मुनि एवं जिनेन्द्र मुनि द्वारा रचित 350 पुस्तकों का प्रकाशन कराया है।
स्वर्ण पथ का संत : मुनि जिनेन्द्र गौरव ग्रन्थ का लोकार्पण-खटका राजस्थानी द्वारा संपादित स्वर्ण पथ का संत : मुनि जिनेन्द्र गौरव ग्रन्थ का आज अजय बंसल,सुकरणकुमार जैन, भंवर सेठ, संजय भण्डारी, वीरेन्द्र डांगी ने लोकार्पण किया। जिसे बाद में सभी उपस्थित साधु संतों को भेंट किया। वीरेन्द्र डांगी एंव रजनी डंागी ने जिनेन्द्र मुनि के जीवन पर आधारित पत्रिका जगमग दीप ज्योति के नवीन अंक का लोकार्पण किया। समारोह में शशि भण्डारी ने भक्ति महिमा गीत प्रस्तुत किया।
विभिन्न दरबारों का हुआ लोकार्पण : जय महावीर दरबार, गुरू ज्येष्ठ दरबार, गुरू पुष्कर दरबार, गुरू देवेन्द्राचार्य, जय शिवाचार्य, गुरू गणेश, गुरू सौभाग्य एवं गुरू रूप दरबार का विभिन्न लाभार्थियों दिलीप सुराणा, किरणमल सावनसुखा, फतहलाल नागौरी, नानालाल महावीर सोलंकी, हरीश मेहता, लाला आनन्द प्रकाश जैन, उमेश महावीर बोल्या, धर्मेश नवलखा व कान्तीलाल जैन द्वारा लोकार्पण किया गया। प्रारम्भ में साध्वी पूर्वाश्री ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया अंत में जैन कॉन्फ्रेन्स नई दिल्ली के मंत्री निर्मल पोखरना ने धन्यवाद दिया। संचालन कवि प्रकाश नागौरी ने किया। समारोह में क्षेत्रीय पार्षद चन्द्रकला बोल्या सहित विभिन्न राज्यों से आए सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं एवं अतिथि उपस्थित थे।