‘शब्द की शक्ति एवं शब्द ब्रह्म’ पर संगोष्ठी
उदयपुर। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि शब्द की शक्ति ही ब्रह्म शक्ति है। प्राणवायु द्वारा शब्दों का उदबोधन होता है। वाणी का सिर्फ चतुर्थ अंश ही मनुष्य उपयोग में लेता है।
अवसर था जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, श्रमजीवी महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की ओर से आयोजित ‘‘शब्द की शक्ति एवं शब्द ब्रह्म’’ पर आयोजित संगोष्ठी का जिसमें वे मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि वो गांधीजी के शब्दों को भी वापस प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि यह ध्वनि वायुमंडल में विलुप्त हो गई है तथा समुचित साधनों के प्रयोग से पुनः प्राप्त की जा रही है। वाणी के बिना इस संसार में यात्रा संभव नही है।
विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी का परिचय कराया। अध्यक्षता डॉ. सुमन पामेचा ने की। मुख्य अतिथि सुविवि के विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने कहा कि शब्द के प्रकार एवं इनकी प्रक्रियाओं के विस्तृत वर्णन दिया कि देश एव समाज को अपने ज्ञान से लाभान्वित करेगा। इस अवसर पर डॉ. नीलम कौशिक, प्रो. गिरिशनाथ माथुर, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराजसिंह राठौड़ सहित संस्कृत विभाग के शोधाथियों ने भी विचार व्यक्त किए।