उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि यहां सब कुछ बुरा नहीं, अच्छा भी बहुत कुछ है। उसे भी समझने का प्रयत्ना करो। कुछ अपनी दृष्टि को सकारात्मक बनाओगे तो निश्चित रूप से अच्छाईयों का खजाना खुल जाएगा।
वे पंचायती नोहरा स्थित धर्म सभागार में आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि सच तो यह है कि हम बात और प्रशंसा तो अच्छाई की करते है लेकिन अनुसरण बुराई का करते है। तुच्छ प्रलोभन के उपस्थित होने पर हम सारे सदगुणों के बखान भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने सोच की दिशा बदलेंगे तो लाख बुराई में भी कोई अच्छाई जरूर मिलेगी। हर व्यक्ति आत्मशांति चाहता है किन्तु आग से खेलकर कोई आत्मशान्ति प्राप्त कर सकेगा क्या। हर बुराई एक आग का टुकड़ा है। चमक-दमक देखकर उसे छू लिया तो हाथ जले बिना नहीं रहेगा। उदाहरण तो आसपास घटित होते ही रहते हैं। बुराइयों का शिकार हर व्यक्ति होता है और उसका परिणाम भोगता है। उसका परिणाम परस्पर द्वन्द्व होगा। प्रवचन सभा को विकसित मुनि ने सम्बोधित किया। संचालन हिम्मत बड़ाला ने किया।
मुक्ति मार्ग एकांगी नहीं है
प्रज्ञा महर्षि उदय मुनि ने वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान में धर्मसभा में कहा कि मात्र ज्ञानयोग से या भक्तियोग से, या कर्मयोग से मुक्त हो सकता है पर महावीर ने ज्ञान-दर्शन-चरित्र-तप की एकता, एकसाधता और परस्पर अविरोध रूपमोदा- मार्ग है। किसी एक से अर्थात् ज्ञान से या चरित्र से या मात्र तप से मुक्ति नहीं होती। चारों मिलकर मोक्षमार्ग बनता है। जानना-देखना जीव का गुण है। अनादि से अनन्तकाल तक रहेगा परन्तु जानने-देखने के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया से, राग-द्धेषादि से तो चतुर्गातिरूप संसार मार्ग होता है और मात्र स्वात्मा को जानने-देखने उसी में रमने से मुक्ति होती है।