उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ‘कुमुद’ ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों में व्रत नियम की आराधना महत्वपूर्ण आराधना है। ये आराधना दैहिक और आत्मिक दोनों दृष्टियों से अत्यन्त उपयोगी है। व्रत नियमों की आराधना साधना से आत्म शुद्धि का लाभ तो होता है ही लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ भी कम नहीं है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि प्रकृति में जितना भी जहरीला अंश है वह रात्रि को ही जाग्रत होता हैं और सक्रिय हो जाता है। सर्प रात को ही अधिक बाहर आते है, मच्छर रात को ही अधिक भिनभिनाते है। दिन में सूर्य के प्रकाश से सारा विषांश मूर्छित रहता है। रात को जग उठता है।
संघ अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने बताया कि आज महावीर स्वाध्याय केन्द्र का त्रिदिवसीय शिविर संपन्न हुआ। लगभग एक सौ शिविरार्थियों ने ज्ञानार्जन किया। अध्यापन कराने में विजयराज मेहता आदि तीन अध्यापकों नें पूर्ण सहयोग किया। श्रावक संघ ने स्वाध्यायियों का भावभीना अभिनन्दन किया। साथ ही प्रभावना वितरण कर सम्मान प्रदान किया। संचालन हिम्मत बड़ाला ने किया।
अगले भव का भी उद्धार करते हैं गुरु भगवंत
माता-पिता अपने बच्चों को संरक्षण के अलावा उन्हें संस्कारित करते हैं। इसी तरह गुरु भगवंत अपने अनुयायियों को सदुपदेश एवं जिनवाणी का उपदेश देकर इस भव के साथ अगले भवों का भी उद्धार करते हैं। ये विचार मुनि प्रवर हितरति विजय मसा ने रविवार को हिरणमगरी सेक्टर 4 स्थित श्री शांतिनाथ श्वेताम्बर जिनालय के आराधना भवन में उनके गुरुदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरिश्वर की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह के तीसरे दिन धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जिनालय में आयोजित लघु शांति स्नात्र पूजन का महत्व समझाते हुए कहा कि जिनेश्वर के नाम स्मरण से ही अनेक विघ्नों का नाश होता है तो श्रद्धा भाव से उनके पूजन दर्शन का क्या प्रभाव होगा? इसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है। सम्यक भाव एवं श्रद्धा से प्रभु स्मरण, दर्शन, पूजन, का अलौकिक प्रभाव दिखाई देगा। संघ के अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि प्रवचन पश्चात महाराज की निश्रा में लघु शान्ति स्नात्र महापूजन सम्पन्न हुई। जिसमें 27 दम्पत्तियों ने भाग लिया।