चार दिन में हुए 10 मंचन
उदयपुर। उदयपुर की नाट्य संस्था ‘नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोरमिंग आर्ट्स’ द्वारा 25 जुलाई से शहर के विभिन्न स्थानों पर एक नुक्कड़ नाटक ‘सभा का सार’ का किया गया।
नाटक क्रमशः 25 जुलाई को फतहसागर की पाल, 26 जुलाई को गोवर्धन सागर की पाल और सुखाडिया समाधि, 27 जुलाई को गुलाबबाग, पिछोला की पाल और नेहरु गार्डन तथा 28 जुलाई को यूनिर्वसिटी रोड और सुखाडिया सर्कल, फतहसागर की पाल पर प्रदर्शित हुआ। नाट्यांश द्वारा मंचित नुक्कड़ नाटक ‘सभा का सार’ भी ऐसे ही विषय पर केन्द्रित है। नुक्कड़ में बताया गया है कि कैसे हम सभाओं में अहम मुद्दे को छोड़कर कई दुसरें मसलों पर चर्चाएं शुरू कर देते है और सभाओं को बिना किसी उचित नतीजे के समाप्त करना होता है। साथ ही हम ऐसी ही एक नई सभा की योजनाएं शुरू कर देते हैं।
नुक्कड़ के संयोजक मोहम्मद रिजवान मंसूरी ने बताया कि नाटक का लेखन अमित श्रीमाली ने किया और निर्देशन अब्दुल मूबिन खान ने किया है। नाटक के कलाकारों में महेन्द्र ड़ांगी, चेतन मेनारिया, अमित नागर, श्लो क पिंपलकर और अब्दुल मूबिन खान पठान ने अपने अभिनय की छाप छोडी़। साथ ही सहयोग दिया विशाल राज वैष्णव, रेखा सिसोदिया, अश्फ़ाक नूर ख़ान पठान, आयुष माहेश्वरी ने नाटक का सारांश नुक्कड़ नाटक ‘सभा का सार’ सरकारी एवं गैर सरकारी महकमे में अक्सर होने वाली सभाओं पर आधारित हैं जो बिना किसी उचित नतीजे के समाप्त हो जाती हैं। ऐसी ही एक सभा ‘शिक्षा और शिक्षण के नये आयामों‘ पर चर्चा करने आए लोग भी शिक्षा सम्बन्धित चर्चा को छोड़ देश में व्याप्त बाकी समस्याओं पर चर्चा कर लौट जाते हैं जिससे इस सभा में हुआ खर्चा व्यर्थ हो जाता है।