गहलोत सरकार के दबाव में आरएसएमएम ने दिए रेलवे को 118 करोड़
उदयपुर। राज्य की पूर्व गहलोत सरकार के दबाव में (राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स) आरएसएमएम ने जेसलमेर में सानू-हमीरा रेलवे लाइन बिछाने की एवज में ११८ करोड़ रुपए रेलवे को दिए थे और वह भी बिना बैंक गारंटी के। आरएसएमएम के अधिकारियों से इस संबंध में जवाब तलब किया गया, तो वह जवाब देने की स्थिति में नहीं थे। किसी का कहना है कि यह राशि रिलीज हुई थी, तब वे यहां नहीं थे और किसी का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।
गत दिनों आरएसएमएम पर ट्रांसपोर्ट माफिया काबिज शीर्षक से प्रकाशित समाचार प्रकाशित किया था, जिसमें बताया गया था कि आरएसएमएम द्वारा रेलवे को बिना बैंक गारंटी लिए एक मुश्त 118 करोड़ रुपए भुगतान करने के बावजूद किस तरह ट्रांसपोर्ट माफिया ने रेलवे लाइन नहीं बिछने दी। जानकारों के अनुसार इससे पूर्व ऐसा आरएसएमएम में कभी नहीं हुआ। एक-दो करोड़ रुपए तक की एवज में बैंक गारंटी ली गई और कुछ मामलों में तो उस गारंटी को इनकैश भी किया गया। बताया गया कि जैसलमेर जहां सानू-हमीरा में आरएसएमएम की लाइमस्टोन की माइंस हैं, वहां से जैसलमेर तक रेलवे लाइन नहीं बिछाने की एवज में राज्य की पूर्व कांग्रेस सरकार का भी हाथ रहा। बीकानेर के ट्रांसपोर्ट माफिया के प्रभाव में यह 56 किमी. लंबी रेलवे लाइन नहीं बिछने दी गई। सालाना वहां 22 लाख टन लाइमस्टोन का उत्पादन हो रहा है। करीब 100 रुपए टन की दर वहां है, जो रेलवे लाइन के अभाव में ट्रांसपोर्ट के जरिये जाता है। आरएसएमएम को इसका नुकसान करीब 20 करोड़ रुपए सालाना ट्रांसपोर्टेशन के रूप में हो रहा है। उस समय अगर वहां रेलवे लाइन बिछ गई होती, तो जितना रुपया ट्रांसपोर्टेशन के लिए दिया गया, वह तो बचता ही और रेलवे को 118 करोड़ रुपए भी नहीं देने पड़ते।
सूत्रों के अनुसार 1992 में बनी इस रिपोर्ट के आधार पर वहां रेलवे लाइन बिछ गई होती, तो उस इलाके के राजस्व से कई विकास कार्य किए जा सकते थे। उस दौरान वहां सीमेंट प्लांट लगाने के लिए सेंचुरी सीमेंट तैयार भी हो गया था। बाकायदा उसने 10 लाख रुपए अग्रिम आरएसएमएम में जमा भी करवा दिए थे। मोहनगढ़ में जिप्सम, सानू में लाइमस्टोन निकलता है। रामगढ़ में उपलब्ध गैस आधारित वहां थर्मल पावर स्टेशन बन सकता था। यहां तक कि उस समय आर्मी ने कुछ शर्तों के साथ रेलवे लाइन की परमिशन दे दी थी, लेकिन ट्रांसपोर्ट माफिया का जोर इतना था कि रेलवे लाइन नहीं बिछ पाई और उस समय की 52 करोड़ की रेलवे लाइन की लागत के मुकाबले 2013 में आरएसएमएम ने 118 करोड़ रुपए रेलवे को दे दिए।
1992 में बनी रिपोर्ट के अनुसार उस समय वहां अगर 680 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए होते तो कांग्रेस की प्रस्तावित रिफाइनरी के मुकाबले में राज्य को वहां से इतना राजस्व मिल जाता कि कई बड़े विकास कार्य करवाए जा सकते थे। उस समय बनी इस रिपोर्ट में 55 करोड़ लाइमसटोन के विकास पर, 65 करोड़ रेलवे लाइन पर, 470 करोड़ सीमेंट प्लांट पर खर्च प्रस्तावित था। इस रिपोर्ट को 1994 में तत्कालीन मुख्य सचिव एमएल मेहता के नेतृत्व वाले बोर्ड ने मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन न जाने फिर क्यों इसे अटका दिया गया?
वर्जन…
मुझे जहां तक ध्यान है, आरएसएमएम का प्रस्ताव एकमुश्त राशि देने का नहीं था। राज्य सरकार के आदेश पर ही रेलवे को एकमुश्त राशि दी गई थी।
–गोपाल गांधी, आरएसएमएम
मैं उस समय यहां नहीं था। इसलिए इस बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम।
–टीआर अग्रवाल, वित्तीय सलाहकार