केबिनेट मंत्रियों की शर्मनाक बयानबाजी
उदयपुर। राज्य सरकार कहने को उदयपुर संभाग में है। 10 दिनों तक सरकार आपके द्वार के तहत समस्याजओं के निराकरण का दावा कर रही है लेकिन दो केबिनेट मंत्रियों में छिड़ा वाकयुद्ध आज चरम पर पहुंच गया। वाकयुद्ध भी ऐसा कि दोनों ने शर्मो-हया की हर हद पार कर दी।
इस कार्यक्रम से होने वाले विकास के बारे में जनजाति मंत्री नंदलाल मीणा का मानना है कि बच्चा होने में 9 माह लगते हैं। इसके जवाब में मीणा के धुर विरोधी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि 10 दिन में भ्रूण तो डाला जा सकता है। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत शनिवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रतापगढ़ विधायक जनजाति मंत्री नंदलाल मीणा उदयपुर आए और आनंद भवन में रूके। इस मौके पर जब जनजाति मंत्री मीणा ने पहले 10 दिनों में होने वाले कार्यक्रम बताए। मीणा से पूछने पर कि क्या 10 दिनों के इस कार्यक्रम में विकास होगा और आम जनता की समस्या का निराकरण होगा? इस पर मीणा ने दो टूक शब्दों में कहा कि 10 दिन में कुछ नहीं हो सकता। बच्चा पैदा होने में भी 9 महीने लगते हैं।
मीणा के इस बयान जैसे ही भाजपा नेताओं को सुनने को मिला तो भाजपा नेताओं में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। जानकारों के अनुसार मीणा के इस बयान पर कटारिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कटारिया ने कहा कि भले ही बच्चा पैदा होने में 9 माह लगे, पर 10 दिनों में भ्रूण तो डाला जा सकता है।
मंत्रियों की मंशा आई सामने : राज्य सरकार के सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मंत्रियों की मंशा स्पष्ट रूप से सामने आ गई है। बयानों को देखकर स्पष्ट है कि मंत्री भी मान रहे हैं कि 10 दिनों में कुछ नहीं हो सकता है। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम मात्र एक फार्मेल्टी है। वहीं इसके विपरित मंत्री यह मान रहे है कि कम से कम शुरूआत तो की जा सकती है।
जनजाति का पैसा जैन मंदिरों पर : मीणा
इधर सुबह जनजाति मंत्री नंदलाल मीणा की ओर से इस तरह का बयान देने के कुछ ही देर बाद एक बार फिर से बैठक में नंदलाल मीणा ने फिर से विवादित बयान दे दिया। जनजाति कार्यालय में अधिकारियों की बैठक के दौरान जनजाति मंत्री नंदलाल मीणा ने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा कि जनजाति अंचल का सारा पैसा जैन मंदिरों के विकास पर खर्च हो रहा है। यह सुनकर वहां पर मौजूद अधिकारी भी सन्न रह गए। अधिकारियों ने इस पर स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया, परन्तु मीणा ने सुना ही नहीं। गौरतलब है कि मीणा ने कुछ समय पूर्व भरतपुर में भी इसी तरह से एक बयान देते हुए कहा था कि ब्राह्मण और जैन आदिवासियों का पैसा खा गए।
बैठक के बाद बचते नजर आए मंत्री
ऐसी बयानबाजी पर प्रदेश में हल्ला होने के बाद केबिनेट की बैठक के बाद पुन: कटारिया और मीणा से पुन: प्रतिक्रिया मांगी तो दोनों बचते नजर आए। कटारिया से यह पूछने पर कि नंदलाल मीणा ने जनजाति का सारा पैसा जैन मंदिरों पर खर्च करने के आरोपों पर कटारिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने सुना ही नहीं। इधर मीणा तो हाथ झटकते हुए निकल गए।