उदयपुर। साध्वीश्री कनकश्रीजी ने ध्यान दिवस की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष बताए गए लेकिन आचार्य महाश्रमण ने कहा है कि ये हमेशा जरूरी नहीं है। इच्छाओं की पूर्ति के लिए अर्थ की जरूरत होती है व चेतना के स्तर पर जीने के लिए आध्यात्मिक चेतना की जरूरत होती है। मोक्ष की सिद्धि करने वाला ही धर्म है।
वे गुरुवार को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व के तहत सातवें दिन धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि पर्युषण को सिर्फ परम्परा के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि परम्परा में जो ऊर्जा, चेतना छुपी हुई है, उसे पहचान रहे हैं। साध्वीश्री ने बताया कि शरीर दो स्तर पर चल रहा है। शारीरिक व चेतना स्तर।
महापुरुषों ने सहिष्णुता के विकास के लिए काफी तपस्या की और स्वयं को देखना, स्वयं को जानना यह तत्व जब उभर कर आते हैं तो हम समाधि की ओर अग्रसर हो पाते हैं। साध्वी ने कहा कि ध्यान को भूल जाना सिर रहित धड़ के समान है, ध्यान सिर है तो धर्म धड़। आचार्य तुलसी ने कहा कि अगर ध्यान छूट गया तो धर्म निष्क्रिय हो जाएगा। आचार्य महाप्रज्ञ ने पन्द्रह वर्षों तक ध्यान पर कई प्रयोग स्वयं पर किये और प्रेक्षाध्यान को उद्घोषित किया।
पर्युषण महापर्व के साथ चल रही भगवान महावीर की जन्मांतर यात्रा को आगे बढ़ाते हुए साध्वी कनकश्रीजी ने ‘जरूरत है ऐसे युवकों की’ विषय पर भगवान महावीर के बाल्यावस्था में निश्छलता, पराक्रम व तेजस्व का गुणगान करते हुए आज की युवा पीढ़ी को भगवान महावीर के समान बनने की सीख दी। साध्वीश्री ने भगवान महावीर के 27 भवों का वर्णन किया। उन्होंने देवताओं द्वारा बालक वर्धमान की परीक्षा लेने, विद्यालय जाने एवं माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् 2 वर्ष तक राजभवन में रहते हुए देह भाव से उठकर- विदेह, आसक्त जीवन, संयमित जीवन आदि वृतान्तों का वर्णन किया। प्रवचनों से पूर्व साध्वीश्री ने ओम की ध्वनि से प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया जिसका सभी श्रावक-श्राविकाओं ने अनुसरण किया।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में शुक्रवार को अल्पसंख्यक कार्ड बनाये जाएंगे। इसमें अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि 7 सितम्बर को हृदय रोग जांच शिविर भी लगाया जाएगा। इसका रजिस्ट्रेशन चालू है। शुक्रवार को आठवें दिन संवत्सरी महापर्व आत्म चिंतन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। मंगलाचरण रवि बोहरा ने किया।