तारा सेवा संस्थान
उदयपुर। समाजसेवा के क्षेत्र में व्यापार करने वाले तारा सेवा संस्थान को मार्केटिंग के लिए युवाओं की जरूरत हैं। इस बाबत बाकायदा विज्ञापन प्रकाशित कर बेरोजगारों को आमंत्रित किया गया है। इससे पहले सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले किसी एनजीओ का ऐसा विज्ञापन कभी देखने को नहीं मिला। एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित उक्त विज्ञापन में आकर्षक मानदेय और साथ में इंसेटिंव का लालच भी दिया गया है।
मामले की तहकीकात करने पर पता चला कि नेत्र रोगियों के निशुल्क ऑपरेशन करने वाले इस एनजीओ के लिए दान-दाताओं से चंदा जुटाने वाले करीब एक दर्जन सेल्स एक्जीक्यूटिव एक साथ काम छोडक़र चल दिए। वे इस बात का विरोध कर रहे थे कि बरसों तक कड़ी मेहनत करके संस्था को मजबूती देने वालों को कम वेतन दिया जा रहा है, जबकि नये लोगों को अधिक वेतन दिया जा रहा है। इसके विपरीत प्रबंधन का आरोप है कि ये लोग प्राप्त दान राशि में चोरी कर रहे थे। रसीद बुकें तक छपवा ली थी। गबन का मामला है लेकिन संस्था ने इनके खिलाफ कोई पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। बस इतना ही कहा कि संस्था के नाम पर लाई गई राशि जमा करा दो। संस्था के सीईओ दीपेश मित्तल ने खंडन किया कि मामला 25-30 लाख का है। सेल्स एक्जीक्यूटिव के टीम लीटर विनय के अनुसार भी करीब एक लाख रुपए की राशि है, जो साथियों ने वेतन भत्ते पेटे रोकी है।