वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारतीय शिक्षा दर्शन की प्रासंगिकता पर व्याख्यानमाला
उदयपुर। अहमदाबाद के पुनरुत्थान ट्रस्ट एवं पुनरुत्थान विद्यापीठ की संयोजक इंदुमती काटदरे ने कहा कि भौतिकवाद ने हम सभी को मन का गुलाम बना दिया है। बाहरी चकाचौंध और भौतिकता को ही हमने विकास का मापदण्ड मान लिया है। समाज में व्यक्ति के जीवन में अभद्रता बढ़ रही है।
वे जयदेव पाठक जनसेवा न्यास द्वारा विद्या निकेतन विद्यालय हिरणमगरी से. 4 में आयोजित प्रदेशस्तरीय सातवीं स्व. जयदेव पाठक स्मृति व्याख्यान को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि दुनिया के 50 प्रतिशत से अधिक लोगों को दोनों समय भोजन नहीं मिल पा रहा है। अनार्तनियता (परस्पर कोई एक दुसरे की चिन्ता नहीं करना, दुसरे से कोई लेना देना नही, हर व्यक्ति को अपनी चिन्ता स्वयं को ही करनी पड़ रही है) का व्यवहार बढऩे के कारण सम्पूर्ण व्यवहार से श्रद्धा एवं विश्वास समाप्त हो रहा है।
अध्यक्षता करते हुए विद्या प्रचारिणी सभा के कार्यवाहक अध्यक्ष यशवंतसिंह शक्तावत ने कहा कि शिक्षा में पाश्चात्यकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण हम अपने मूल संस्कारों से दूर होते चले जा रहे हैं। शिक्षक दिवस पर राधाकृष्णन के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर इसे ठीक करने का दायित्व शिक्षक का है। कार्यक्रम में विद्याभारती के 17 जिलों के 9 श्रेष्ठ प्रधानाचार्यों एवं 9 श्रेष्ठ आचार्यों को, शॉल, श्रीफल, उपरना एवं 5100/- नकद देकर पुरस्कृत किया गया। साथ ही अखिल भारतीय खेलकूद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। संचालन व्याख्यानमाला के संयोजक सुरेन्द्र सिंह राव ने किया। परिचय एवं स्वागत के बाद जयदेव का जीवन परिचय एवं कार्यक्रम की प्रस्तावना विद्याभारती के संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने रखी। मंच पर विद्या भारती के सचिव एवं मा. शिक्षा बोर्ड अजमेर के पूर्व सचिव भरतराम कुम्हार, बीएल चौधरी, मनोहरलाल कालरा उपस्थित थे।