रामधारी सिंह ’दिनकर’ की जयंती पर व्याख्यानमाला
उदयपुर। उत्तरदायी रचनाकार अनिवार्यतः व्यवस्था विद्रोही होता है। वह शोषण की व्यवस्था को मिटाकर समता की व्यवस्था को कायम करने का पक्षधर होता है। यह विचार हिन्दी विभाग श्रमजीवी महाविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. मलय पानेरी ने रामधारी सिंह ’’दिनकर’’ की जन्म जयंती पर व्यक्त किए।
प्रो. पानेरी ने दिनकर रचित अमर काव्य ग्रन्थों, कुरूक्षेत्र और उर्वशी से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने विचारों को प्रेषित किया। उन्होने यह भी कहा कि दिनकर भावों के कवि थे। वे अपने भावों को विस्तार कर उसे समाज कल्याण के लिए शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करते थे। मुख्य अतिथि कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. सुमन पामेचा ने कहा कि कवि अपने समय की परिस्थितियों से प्रेरित होकर रचना की ओर उन्मुख होता है। दिनकर की कविताओं में राष्ट्रीयता की अनुगूंज सुनाई देती है। उन्होंने अपने समय ओर समाज को आन्दोलित कर जन जन में राष्ट्रीयता की भावना का संचार किया। दिनकर की रचनाएं इसका प्रमाण है। संचालन राजेश शर्मा ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. ममता पानेरी ने किया। इस अवसर पर अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित थे।