उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ का डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी का दर्जा यथावत रहेगा। इसे कोई खतरा नहीं है। यह दावा किया है विद्यापीठ के वाइस चांसलर प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने। उन्होंने बताया कि यूजीसी की वेबसाइट पर डीम्ड यूनिवर्सिटी की सूची में विद्यापीठ का नाम यथावत कायम है। साथ ही अमान्य विश्वविद्यालयों की सूची में विद्यापीठ का नाम नहीं है। इससे बड़ा और क्या सुबूत हो सकता है?
प्रो. सारंगदेवोत ने मददगार को एक खास मुलाकात में बताया कि कुछ विघ्नसंतोषी लोग अफवाहें फैलाकर भ्रम का वातावरण निर्मित कर रहे हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि इस प्रकार की अफवाहों से संस्था की प्रतिष्ठा को आघात पहुंच रहा है तथा विद्यार्थी भी गुमराह हो रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि यूजीसी में ऐसी कोई ब्लैकलिस्ट बनाने के प्रस्ताव पर विचार नहीं हो रहा है जिसमें राजस्थान विद्यापीठ का नाम शामिल किया जाना हो। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी को कहा है कि मौके पर जाकर निरीक्षण किए बिना प्रस्तुत की गई किसी भी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए है कि निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को दूर करने के लिए भी विश्वविद्यालय, संचालकों को निश्चित और पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। इसके बाद भी पूर्ति न हो तो मान्यता वापस लेने पर विचार किया जा सकता है।
प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि उक्त निर्देशों के बाद कुछ विश्वविद्यालयों ने यूजीसी से निरीक्षण का निवेदन किया है, विद्यापीठ इनमें भी शामिल नहीं है। विद्यापीठ का निरीक्षण नियमानुसार अगले वर्ष होना है, जिसके लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। कुलपति ने विद्यापीठ हितैषियों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के भ्रम का शिकार न हों। विद्यापीठ का भविष्य उज्जवल है। इसमें उन्हें कोई शंका नहीं है।