पंडित विश्वेश्वर शर्मा को प्रथम काव्यांगन सम्मान, रात ढाई बजे तक जमा कवि सम्मेलन
उदयपुर। चकाचौंध रोशनी से नहाए मुक्ताकाशी रंगमच पर बैठे कविगण और खचाखच भरा लोककला मंडल देर रात तक काव्यांगन-2014 का चश्मदीद बना। देश के ख्यातनाम कवि देर रात तक काव्य सुधा बरसा रहे थे, वहीं श्रोता उसमें नहा रहे थे। कोई शख्स ऐसा नहीं था जो तालियां नहीं बजा रहा था या फिर दाद नहीं दे रहा था।
इस बीच फिल्मी गीतकार और पैरोडी किंग के नाम से मशहूर पं. विश्वेश्वर शर्मा को प्रथम काव्यांगन सम्मान से नवाजा गया। पंडितजी के सम्मान में सभी श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों की गडग़ड़ाहट से लोककला मंडल को गुंजायमान कर दिया।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल, राजस्थान विद्यापीठ एवं लोकप्रिय चैनल इन न्यूज सहित विभिन्न प्रायोजकों द्वारा आयोजित काव्यांगन-2014 में सबसे पहले शायरा शबीना अदीब ने विराजे मन मंदिर में राम, उनकी दया से जगमग चारों धाम… वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की। इसके बाद नवीन पार्थ ने फिल्मी गीतों पर बनाई हास्य रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं का मन जीत लिया। इंदौर से आए दिनेश देसी घी ने हास्य की फुलझडिय़ों से खूब गुदगुदाया। राजकुमार बादल ने डिग्री वाले हाथों को काम दिलाना होगा, करप्शन पर कंट्रोल करके काला धन वापस लाना होगा… सुनाकर काव्य निशा को आगे बढ़ाया। जयपुर के अशोक चारण ने हरी हो गई है जमीं फिर क्यों बादल बरस रहा…, सुनाकर वाहवाही लूटी।
शायरा शबीना अदीब ने श्रोताओं की वन्स मोर की मांग पर तुम हमे अपना नसीब कर लो, हम तुम्हें अपना नसीब कर लें… सुनाकर श्रोताओं के दिल को छू लिया। विशेष अनुरोध पर राव अजातशत्रु ने चिर परिचित गीत गोरा-बादल राजस्थान… सुनाकर श्रोताओं का मन जीत लिया। इस काव्य निशा में बतौर अतिथि लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ और मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, मेयर रजनी डांगी, जिला प्रमुख मधु मेहता, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत मौजूद थे।
सम्मान में बजती रही तालियां
पंडित विश्वेश्वर शर्मा ने जब अपना गीत काले नागों के चूमे हुए हैं, जंगली रीछों के चाटे हुए हैं, इस जहर का उतरना है मुश्किल, हम बहारों के काटे हुए हैं…नीर के हर तीर पर प्याेसा रहा हूं… सुनाया तो लोककला मंडल में उपस्थित श्रोता उनके सम्मान में देर तक तालियां बजाते रहे।
गूंजा कोई दीवाना कहता है…
श्रोताओं के विशेष आग्रह पर कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे प्रेम और श्रृंगार के सिद्धहस्त कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कोई दीवाना कहता है… सुनाई तो पूरा पांडाल उनके गीत को कोरस की तरह गाने लगा। श्रोताओं की दीवानगी देखकर डॉ. कुमार विश्वास भी गदगद हो गए। अपने गीत के बीच-बीच कुमार ने राजनीतिक व्यंग्य बाण छोडक़र श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। श्रोताओं की मांग पर अकेले कुमार विश्वास ने घंटे भर से अधिक समय तक काव्यपाठ किया। विशेष मांग पर उन्हों ने बच्चों के क्याम नाम रखे हैं.. कविता भी सुनाई।