वेदों में रेडियोधर्मिता पर राष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। वेद और विज्ञान में समन्वय तभी हो सकता है, जब इसका सम्मिलित पाठ्यक्रम शुरू हो। वेद पढ़ने वाला विज्ञान नहीं जानता और विज्ञान पढ़ने वाला वेद नहीं जानता। जब तक दोनों विषयों को साथ नहीं पढ़ाया जाएगा वेदों की प्रतिष्ठा पुनः स्थापित नहीं की जा सकती।
ये विचार प्रो: आरबी गुप्ताक ने व्युक्त किए। वे मंगलवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की ओर से मंगलवार को वेदों में रेडियोधर्मिता विषयक कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वेदों में निहित ज्ञान आध्यात्मिक आधिदैविक आधिभौतिक है। जिसके आधार पर विज्ञान के तथ्यों को खोजा जा सकता है। किन्तु इसके लिए आवश्यकता है कि वैज्ञानिकों को संस्कृत का ज्ञान हो और संस्कृत विद्वानों को विज्ञान का ज्ञान हो।
उन्होंने कहा कि वेदों में निहित गणित, ज्योतिष, के सूत्रों की वर्तमान परिप्रेक्ष में विज्ञान के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि वेद ऋचाओं के साथ वास्तु विज्ञान का सम्बंध मानव जीवन के साथ है। उन्होंने बताया कि वर्तमान ई मेल व्यवस्था वेदों में निहित यज्ञ व्यवस्था का ही रूप है क्योंकि यज्ञ के समय दी जाने वाली आहुतियों को अग्नि सम्बंधित देवताओं तक पहुंचाता है। समारोह के मुख्य अतिथि पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र दशोरा ने कहा कि ज्योतिष को इंजीनियरिंग का दर्जा मिलना चाहिए। यह पूर्ण रूप से खगोलीय सिद्धांतों पर आधारित है।
रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने कहा कि वेद में छिपे विज्ञान के सिद्धांतों को वही व्यक्ति समझ सकता है जो संस्कृत जानता हो और गणित भौतिकी के सिद्धांत भी। इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर,, निदेशक डॉ. धीरज जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का संचालन डॉ. कुसुमलता टेलर ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. निर्मला पुरोहित ने दिया। प्रारंभ संस्कृत विभाग के निदेशक डॉ. धीरज जोशी ने अतिथियों का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभाग के एम.ए. के छात्र पुष्कर सिंह राव का यू.के. में संस्कृत एवं संस्कृति प्रशिक्षण के रूप में चयन होने पर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारेाह में प्रो. एन.एस. राव, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. पारस जैन, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. प्रदीप पंजाबी, डॉ. जीवनसिंह खरकवाल सहित विभागाध्यक्ष, छात्र, छात्राएं उपस्थित थे।