स्वच्छ भारत व मेक इन इंडिया अभियान
शिल्पग्राम में हैण्डमेड पेपर पर कार्यशाला प्रारम्भ
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से ‘हस्त निर्मित कागज़ (हैण्डमेड पेपर) शिल्पकला’ पर कार्यशाला बुधवार से प्रारम्भ हुई। कार्यशाला में 600 साल पुरानी कागज़ बनाने की तकनीक को प्राणवान बनाने तथा उससे नवसृजन करने का संकल्प लिया गया।
शिल्पग्राम के संगम सभागार में उद्घाटन पर केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने कहा कि इस कार्यशाला से दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति हो सकती है। उन्होंने बताया कि केन्द्र में रखे अनुपयोगी कागज़ से पुनः चक्रित कागज़ तेयार कर उससे कलात्मक व उपयोगी वस्तुओं का सृजन स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया के भावों की पूर्ति करता है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला को बालोन्मुखी बनाया गया है ताकि बच्चे कागज़ बनाने की पुरानी तकनीक के साथ उससे रचनात्मक व कलात्मक वस्तुओं का सृजन कर सके। यह उनके भविष्य में जीविकोपार्जन का साधन बन सकता है।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला में नया पुट देने के लिये मोलेला के जमनालाल कुम्हार तथा आभूषण कला की सुश्री दीपाली को कार्यशाला से जोड़ा गया है जो कागज़ की लुग्दी से विभिन्न वस्तुएं बनाने की संभावानाओं को रचना रूप देगे। मिर्जा अकबर बंग कागजी ने इस पुश्तैनी कला पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुगलों के आगमन के बाद मेवाड़ में इस कला का उद्भव हुआ तथा इस कला में पानी के बहुतायत उपयोग को देखते हुए नदी किनारे बसे घोसुण्डा में इसका आश्रय बनाया गया। तुर्रा कलंगी अखाड़े के खिलाड़ी व शायर मिर्जा अकबर ने इस अवसर पर शिल्पग्राम पर स्वरचित गीत भी सुनाया।
इस अवसर पर श्री दशोरा ने सर्व प्रथम मिट्टी से मोल्ड बनाया फिर लुग्दी से मोल्ड बनाया। इसके बाद संगम सभागार के बाहर बने हौद में लुग्दी के घोल में छपरी डुबों कर कागज़ बनाया। इस दौरान कागज़ में रंग भरने के लिये मिर्जा ने उसमें केसरिया, पाले गेंदे फूल तथा गुलाब पंखुरियां डाली जिनका कागज़ पर एक अलग रंग व टैक्श्चर उभर कर आया। इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक फुरकान खान ने शिल्पकारों के प्रति आभार प्रकट किया। इससे पूर्व केन्द्र निदेशक दशोरा ने कलाकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। उद्घाटन अवसर पर ही हवाला गांव के बालकों ने भी मिट्टी के मोल्ड बनाये। कार्यशाला 17 नवम्बर तक चलेगी जिसमें बालकों को कला का प्रशिक्षण दिया जायेगा।