अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन 2014
उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ की ओर से शुक्रवार शाम आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कवियों अपनी देशभक्ति व हास्य कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जहां पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा ने अपनी हास्यर फुलझडि़यों से खूब हंसाया वहीं भीलवाड़ा के योगेन्द्रू शर्मा ने कविताओं से दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोताओं की बांहों में देशभक्ति का ज्वाहर उमड़ाया।
योगेन्द्र शर्मा ने पृथ्वीराज की भूलों वाले पन्ने वापस मत खोलो, शूल बिछे आंगन में हर्गिज अंधे होकर मत डोलो, तुम चाहो तो राम राज्य का दौर शुरू हो सकता है, भारत फिर से विश्वअ गुरू बन सकता है। कतरा कतरा रत्नाकर हो सकता है, कंकर कंकर शिवशंकर हो सकता है सुनाकर खूब तालियां पिटवाई। वहीं जबलपुर के सुदीप भोला ने चाचा नेहरू आपके ही देश में, फब्तियां बचपन की ही मझधार में, है उम्र जिनकी खिलौने खेलने की, वो खिलौने बेचता बाजार में, संसद न हुई किराणे की दुकान हो गई, गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गई सुनाकर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।
आगरा की ममता शर्मा ने नेता के चरित्र में विचित्रता कमल सी है कीचड़ में रहकर भी, न किचड में सनता, पानी सा जो तरल दिखता मंत्री होते ही दूध सा उफनता, चुनाव में लाखों फूंके करोड़ो जोडे़, ये वो ही लोग हैं जो देश को निचोडे़ सुनाई वहीं काठमांडू के लक्ष्ममण नेपाली ने मजहब के नाम पर हर जगह दंगा देखता हूं, मैं एक गिलास पानी में भी गंगा देखता हूं। जब जब कागज पर लिख मैंने, मौका नाम, कलम अदब में कह उठी हो गये चारों धाम – सुनाई। संचालन करते हुए राव अजातशत्रु ने हम पागल प्रेमी बनजारे, कविता लिखते शब्दों से रात जगाते, नहीं शब्दों के सौदागर हम जैसा जीवन जीते वैसी कविता लिख जाते सुनाकर मन मोह लिया।
इससे पूर्व कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने आमंत्रित कवियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित कर उनका स्वागत किया। रजिस्ट्रार प्रो. सी. पी. अग्रवाल ने बताया कि विद्यापीठ की ओर से कवि सम्मेलन में मेवाड़ के कवि एवं साहित्यकार प्रो. नन्द चतुर्वेदी, माधव दरक, पुरूषोतम पल्लव, ज्योतिपुंज, श्रेणीदान चारण, डॉ. मधु अग्रवाल, डॉ. मंजू चतुर्वेदी एवं प्रो. मूलचंद पाठक, जनाब इकबाल सागर, ज्योतिपुंज को शॉल, स्मृति चिन्ह देकर कवि शिरोमणि सम्मान से नवाजा गया।