उदयपुर। ’’भारत भविष्य में विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का प्रमुख स्थान होगा। प्रो. मूरे ने परंपरागत कक्षा शिक्षण के स्थान पर नूतन सूचना प्रोद्योगिकी आधारित अधिगम के महत्व को अधिरेखांकित करते हुए फिनिक्स विश्वविद्यालय के उदाहरण से स्पष्ट किया कि क्रांति लाने के लिए शिक्षक व शिक्षार्थी की नवचार परक तकनीकी सोच व समझ आवश्यक है।
ई-तकनीकी आधारित नई शिक्षा पद्धति ने ज्ञान को नमनीय एव चाक्षुष बना दिया है जिससे शिक्षक व शिक्षार्थी अपनी सुविधानुसार वांछित सूचना एवं ज्ञान से लाभांन्वित हो सकते हैं। साथ ही उच्च शिक्षा में कंप्यूटर आधारित सूचना प्रोद्योगिकी संबंधि शिक्षण अधिगम के माध्यम से शिक्षक व छात्र अधिकाधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।’’
उक्त विचार न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय केनबरा आस्ट्रेलिया के प्रों. मूरे वुड्स ने जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संगठक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक में आयोजित ’’कंप्यूटर साइंस एवं मैक्सिमम यूज ऑफ इनफोर्मेशन टेक्नाकालोजी’’ विषयक प्रसार व्याख्यानमाला में व्यक्त किए। प्राचार्य डॉ. शशि चित्तौडा़ ने पुष्प गुच्छ भेंट कर वार्ताकार प्रो. वुड्स का स्वागत किया। संचालन डॉ. अमी राठौड़ ने किया। धन्यवाद डॉ. सरोज गर्ग ने दिया।