भाजपा को 35 सीटें मिलेगी, संघ का आकलन
उदयपुर। गृह सेवक गुलाबचंद कटारिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रिश्तों में खटास की खबर मिली है। वैसे तो यह अंदरुनी अनबन शिक्षकों के तबादले के समय से चल रही है लेकिन इस बार निकाय चुनाव में एक बार फिर कटारिया ने संघ के कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं देकर उस अनबन को और बढ़ा दिया है। एक ओर जहां कटारिया 55 में से 50 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं वहीं संघ की अंदरुनी रिपोर्ट भाजपा को 35 सीटें दे रही है। साथ ही वोटिंग परसेन्टेज भी घटने का आकलन है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व वार्ड 25 से चुनाव लडऩे के इच्छुक नगर कार्यवाह गोपाल सोनी को संघ से दायित्व मुक्त किया गया था। सोनी को कटारिया से आश्वासन भी मिला था लेकिन अंतिम समय में यह आरक्षित टिकट शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट के चहेते गजेश शर्मा को दे दिया गया। एक नगर कार्यवाह के सम्पर्क में करीब छह वार्ड यानी आधा दर्जन पार्षद रहते हैं। यह आश्चर्य ही है कि एक नगर कार्यवाह को पार्षद के टिकट के लिए दौड़ लगानी पड़ी फिर भी टिकट नहीं मिलने से सोनी का हाल क्रना खुदा ही मिला, न विसाले सनमञ्ज जैसा हो गया।
इसी प्रकार वार्ड 27 से संघ के कर्मठ स्वयंसेवक रहे एबीवीपी के कार्यकर्ता विकास कोतली का भी टिकट काटकर लवदेव बागड़ी को दिया गया। बागड़ी इस वार्ड के निवासी भी नहीं बताते हैं। वार्ड 35 से संघ के कट्टर कार्यकर्ता दावेदार यशवंत पालीवाल, छगन बोहरा का टिकट काटकर जगत नागदा को दे दिया गया। वार्ड 40 से भरत जोशी, सुशील जैन आदि स्वयंसेवकों की दावेदारी निरस्त करते हुए परिवारवाद के तहत राकेश पोरवाल को वापस टिकट दे दिया गया।
जानकार सूत्रों के अनुसार उदयपुर में विभाग प्रचारक हेमराज, महानगर कार्यवाह पुष्कर लोहार आदि के साथ कटारिया के संबंध मधुर नहीं रहे हैं। इसी कारण संघ के कर्मठ कार्यकर्ताओं के रूप में कार्यरत शिक्षकों के तबादले भी नहीं हो पाए। गत माह इस संबंध में कटारिया को संघ कार्यालय पर बुलाया भी गया लेकिन उक्त बैठक में कटारिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा विभाग मेरा नहीं है। उसमें मैं कुछ नहीं कर सकता। संघ के प्रांतीय पदाधिकारियों में शामिल ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा की विजयी में अहम भूमिका निभाने वाले महिपाल सिंह ने अपना तबादला फतह स्कूल के लिए मांगा था लेकिन बड़ी मुश्किल से उनका तबादला अंबामाता स्कूल में हुआ। मनवांछित जगह तबादला नहीं होने के कारण उन्होंने करीब एक माह तक ज्वॉेइन भी नहीं किया। एक अन्य प्रांतीय पदाधिकारी हरिदत्त शर्मा और कार्तिकेय का तबादला भी वांछित जगह पर नहीं हुआ। ये सब तो प्रांतीय स्तर के पदाधिकारियों की बात रही। ऐसे छोटे-मोटे अनेक कार्यकर्ता हैं जिनके काम लटके पड़े हैं। ये संगठन को अपनी निराशा जता चुके हैं।