अपनी-अपनी जीत के दावे
उदयपुर। समर्थक मतदाताओं को देखते ही प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रहे थे। हर बूथ पर मतदाताओं को लाने-ले जाने के लिए वाहनों का जमकर प्रयोग किया गया। कार्यकर्ताओं के गले में पार्टी के दुपट्टे आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते प्रतीत हो रहे थे।
आरंभिक दौर में सर्वाधिक भीड़ वार्ड 6, वार्ड 46 में नजर आई। दोनों पार्टियों की ओर से वार्डों में नियुक्त प्रभारियों के सक्रिय होने के कारण कार्यकर्ता भी सक्रिय रहे। मतदान केन्द्रों पर 80 वर्ष से अधिक वृद्ध महिलाओं और पुरुषों ने भी मतदान में खासी रुचि दिखाई। इन्हें घर के परिजन, युवा स्कूटर, मोटर साइकिल पर बिठाकर मतदान केन्द्र तक लाए।
चहुंओर उत्साह : मतदान के दौरान दोनों पार्टियों सहित निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थकों में भी खासा उत्साह रहा। जोरदार नारेबाजी करते हुए मतदाताओं को अपनी ओर आकृष्ट करने का प्रयास जारी रहा।
वार्ड 18 में शारीरिक अक्षमता के बावजूद 90 वर्षीय सत्यदेव मलिक तथा 100 वर्षीय नानी बाई ने मतदान किया। वार्ड 2 में 85 वर्षीय दौलत सिंह खमेसरा ने बताया कि मैंने आजादी के बाद होने वाले सभी चुनावों में मतदान किया है। वार्ड 2 में स्वाति घावरी तथा वार्ड 17 में अदिति जैन ने पहली बार मतदान किया तथा वार्ड 19 में 90 वर्षीय गोकुललाल खटोड़ एवं 88 वर्षीय पत्नी रुकमणि बाई ने भी सक्रियता दिखाई।
आसपास के नाश्ता सेंटरों की चांदी हो गई। कोई 25 तो कोई 30 कचोरी, समोसे लेने आते रहे। रेस्टोरेंट पर भी बार-बार नाश्ता खत्म हो रहा था। वार्ड 42 के महिला मंडल बूथ से एक बुजुर्गवार को आईडीप्रूफ नहीं लाने के कारण वापस जाना पड़ा तो वार्ड 43 के ओसवाल भवन स्थित बूथ पर 85 वर्षीया वृद्धा को उनका पौत्र विनोद स्कूटर पर बिठाकर लाया।
वार्ड 14 के खांजीपीर स्थित बूथ पर महिला कांस्टेबल अपनी नन्हीं बच्ची को गोद में बिठाकर ड्यूटी करती दिखीं तो वार्ड 41 में रोशनलाल शर्मा पब्लिक स्कूल में कच्ची बस्ती के लोगों की सुबह से खासी भीड़ रही। फाइनेंस माफिया और भू-माफियाओं का इस क्षेत्र में जमावड़ा रहा।
वार्ड 43 के एक मतदाता ने दोनों प्रत्याशियों से रिश्तेदारी होने के कारण नोटा का उपयोग किया। उनका कहना था कि एक ओर भतीजा-बहू है तो दूसरी ओर भाभी। धर्म संकट है कि किसको वोट दूं, इसलिए मैंने नोटा का बटन दबाया।
व्हील चेयर नहीं : मतदान केन्द्रों पर व्हील चेयर नहीं होने के कारण चलने में बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। ओसवाल भवन में पहुंची कलादेवी अग्रवाल के पुत्र संजय अग्रवाल ने बताया कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान अधिकारी को कहने के बावजूद इस बार भी व्हील चेयर की व्यवस्था नहीं की गई।
बाहर गए मतदाताओं को बुलाया : वार्डों में कई मतदाताओं के किसी काम से बाहर जाने के कारण प्रत्याशियों के समर्थकों की ओर से उन्हें वाहन भेजकर बुलाया गया। सूत्रों के अनुसार शहर से कई मतदाता किसी काम से नजदीकी गांवों में गए थे। सूची देखकर प्रत्याशी के समर्थक मतदाता के घर पहुंचे और पूछताछ कर फोन पर बुलवाया गया।
आपाणो ध्यान राखजो : मतदाताओं के सीधे मतदान केन्द्र में जाने के कारण बाहर लगे बूथों पर कार्यकर्ता और समर्थक सिर्फ यही कहते नजर आए कि आपाणो ध्यान राखजो। वे आने-जाने वाले मतदाताओं को स्वयं के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे थे।
मतदान का जोश, लेकिन नाम नहीं : कई मतदाता जोश के साथ मतदान केन्द्रों तक पहुंचे लेकिन मतदाता सूची से नाम गायब देखकर सारा जोश ठंडा पड़ गया। काफी मशक्कत भी की लेकिन अंतत: निराश ही लौटना पड़ा। कई वर्षों से मतदान कर रहे इन लोगों का मतदाता सूची में नाम ही नहीं होने के कारण मतदाता भी हैरान हो गए। मतदान से वंचित लोगों ने अधिकारियों से पिछले कई वर्षों से इसी क्षेत्र से मतदान करने की जानकारी दी। काफी प्रयास के बाद भी छोटी सब्जी मंडी निवासी लालूराम वार्ड 43 में मतदान से वंचित रह गए।
मूल स्थान से दूसरे स्थान पर जाना भी कारण : बताया गया कि कई मतदाता जो पूर्व में शहर के अंदरूनी क्षेत्रों में रहते थे। उन्होंने शहर से दूर नया मकान बना लिया। ऐसे में मूल स्थान से उनका नाम काट दिया गया। इन लोगों का नाम नए स्थान पर मतदाता सूची में नहीं जोड़ा गया।