उदयपुर। निकाय चुनाव हो चुके हैं। सभी प्रत्याहशियों का भाग्या ईवीएम में बंद हो चुका है। मंगलवार सुबह फतह स्कू ल में मतगणना होगी और कुछ ही घंटों में परिणाम सामने होगा। उधर मतदान समाप्तू होने के बाद शनिवार देर रात और रविवार को समर्थकों ने सोकर खुमारी मिटाई तो प्रत्यातशियों ने इधर-उधर पूछताछ कर अपनी खुशफहमी को बरकरार रखने का प्रयास किया।
सबसे बड़ा संकट महापौर का आने वाला है। चहुंओर यही चर्चा है कि महापौर कौन होगा। कोई खुशफहमी में तो नहीं है या जिसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है, भाईसाहब उसे दरकिनार करेंगे। अगर भाईसाहब दरकिनार करेंगे तो इस प्रबल दावेदार का वर्चस्वज इतना कि सभी विरोधी एक होकर भाईसाहब के विरोध में भी उतर सकते हैं।
दूसरे दावेदार भामस नेता जीत भी पाएंगे या नहीं। जीत जाएंगे तो भाईसाहब की पहली पसंद के रूप में वही महापौर के दावेदार होंगे। लेकिन उक्तय प्रबल दावेदार को कैसे दूर रख पाएंगे, यह सब दो दिन बाद सामने आएगा जब बुधवार को पार्षद मिलकर (भाईसाहब के कहने पर) या संगठन के कहने पर महापौर चुनेंगे।
महापौर के तीसरे दावेदार ब्राह्मण नेता अपने वार्ड में बागी के कारण जीत भी पाएंगे या नहीं, अभी इसमें भी संशय जताया जा रहा है। बताते हैं कि उनके आसपास वाले तक उनके व्यावहार से खुश नहीं हैं।
चौथे दावेदार जो कि शहर के सबसे बडे़ वार्ड से चुनाव लड़े लेकिन उनके वार्ड में प्रोपर्टी डीलर की हत्याे हो जाने के कारण उनके वोट भी प्रभावित हुए होंगे। कितने हुए, यह मंगलवार को सामने आ ही जाएगा।
राजनीतिक हलकों में यह तय माना जा रहा है कि निगम चुनाव के प्रदेश प्रभारी कटारिया मेवाड़ में कभी सर्व सम्मत नेतृत्व नहीं उभरने देंगे। अगर सर्वसम्मशत नेतृत्वे उभरकर आया तो वह उनका उत्ततराधिकारी बनेगा। फिलहाल वे अभी से उत्तशराधिकारी चयन के पक्ष में नहीं लगते।