नाशी कीट परिदृश्य समस्या व प्रबंधन पर संगोष्ठी
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग एवं कीट विज्ञान अनुसंधान संगठन के तत्वावधान में तीन दिवसीय ‘‘शस्य एवं उद्यान पारिस्थितिकी में बदलते नाशीकीट परिदृश्य समस्या एवं उनके प्रबन्धन‘‘ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी गुरूवार को आरसीए सभागार में शुरू हुई।
मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. गुरूबचन सिंह ने उद्घाटन सत्र में कहा कि आज हमारे देश ने रिकॉर्ड 264 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है, परन्तु देश की बढ़ती आबादी के मद्देनजर इसमें प्रतिवर्ष 10 मि.टन की वृद्धि आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण असंतुलन एवं बहु-विकल्पी कृषि उद्यम एवं आर्थिक उत्पादन की होड़ से कृषि में नाशीजीवों का परिदृश्य निरन्ततर बदल रहा है। उन्होंने लागत प्रभावी पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित कीटनाशकों के निरन्तर विकास एवं उपयोग पर बल दिया। उन्होंने मौसम आधारित कीट प्रबन्धन के पूर्वानुमानों की भी आवश्यकता जताई।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. ओपी गिल ने कहा कि आज कृषि में 30 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न फसलों का नुकसान नाशीजीवों की वजह से होता है। अतः विभिन्न फसलों में प्रभावी नाशीजीव नियंत्रण से न सिर्फ उत्पादन में वृद्धि होगी अपितु कृषि एवं पर्यावरण में उपलब्ध जैव विविधता का संरक्षण भी इससे संभव है। आज कृषि में उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादों के साथ ही जैव विविधता, जैव संसाधनों का उचित प्रबन्धन, पर्यावरण संरक्षण एवं परिस्थिति के संतुलन की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने आशा जताई की नवीनतम कीट प्रबन्धन तरीकों के विकास से टिकाऊ फसलोत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मण्ड़ल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सीडी माही ने कृषि में संभावित कीट प्रबन्धन एवं नकली कीटनाशकों पर प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड के संरक्षक रज्जुभाई डी. श्रॉफ ने बताया कि आज देश के किसानों को अनुदान की आवश्यकता नहीं है बल्कि गांवों में आधारभूत ढांचों के विकास, उचित तकनीकी हस्तान्तरण, समय पर उचित वित्तीय सहयोग, गुणवत्ता युक्त बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक के साथ ही फसल के उचित विपणन एवं किसान हितैशी नीतियों की आवश्यकता है। कीट विज्ञान अनुसंधान के अध्यक्ष डॉ. एस.सी. भारद्वाज ने स्वागत किया।