उदयपुर। महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन द्वारा प्रायोजित तथा संस्कृत-विभाग, राजस्थान विद्यापीठ द्वारा आयोजित ‘सभी के लिए वैदिक कक्षाएं’ नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत नासदिय सूक्त तथा सृष्टि प्रक्रिया’ विषय पर व्याख्यान हुआ।
मुख्य वक्ता प्रो. आरबीएल गुप्ता अजमेर थे, जिन्होंने बताया कि सृष्टि उत्पत्ति से सम्बन्धित आधुनिक विज्ञान के ‘बिग-बैंग के सिद्धान्त’ का आधार ऋग्वेद का हिरण्यगर्भ सूक्त है। वहां आधुनिक विज्ञान से ओर आगे चलकर महाप्रलय से न्युट्रोन स्टार व न्यूट्रोन स्टार से सृष्टि उत्पत्ति की प्रक्रिया का सम्पूर्ण ज्ञान विवेचित है।
जिस ओर आधुनिक वैज्ञानिकों को ध्यान देना चाहिए, उन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को विज्ञान से जोडने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि वैज्ञानिक प्रो. एसएनए जाफरी, निदेशक विज्ञान संकाय, पेसिफिक विश्वविद्यालय थे। उन्होंने वैज्ञानिक शोध पर बल दिया और कहा कि वेदों में निहित ज्ञान को यदि विज्ञान से जोड़कर प्रयोग किए जाएं तो ये प्रयोग हमें नोबल पुरस्कार भी दिला सकते हैं। अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता प्रो. सुमन पामेचा तथा सारस्वत अतिथि प्रो. सी.पी. अग्रवाल रजिस्ट्रार, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय थे। कार्यक्रम के आरम्भ में विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज प्रकाश जोशी ने अतिथियों के स्वागत के साथ उनका परिचय व कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। प्रो. हेमलता बोलिया पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग ,मोहन लाल सुखाडिया विष्वविद्यालय को कवि शिरोमणि अलंकरण प्रदान कर अभिनंदन किया गया। संचालन डॉ. निर्मला पुरोहित ने तथा धन्यवाद डॉ. कुसुम लता टेलर ने किया।