‘शिल्पग्राम उत्सव-2014’
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के छठें दिन हाट बाजार में कलात्मक खरीददारी का जोर रहा लोगों ने लोक प्रस्तुतियों को निहारा।
उत्सव में शुक्रवार को दोपहर में कई लोग अपने परिवार व मित्रों के साथ शिल्पग्राम पहुचें व खरीददारी करने के साथ मेले का लुत्फ उठाया। हाट बाजार में लोगों ने जूट की बनी कला कृतियाँ, जूट बैग्स, वॉल हैंगिंग्स, झूले, नमदे की बनी मोजड़ियाँ, न्यूज पेपर बैग, अंगोरा के गर्म परिधान, ऊनी स्वेटर, जैकेट, बंडी, कलात्मक व सजावटी पॉट्स, खुर्जा पॉटरी, मेटल की कलात्मक वस्तुएँ, वूलन कारपेट, पैरदान, बांस बेंत की कलात्क वस्तुएँ, रोगन कला के परिधान, भरतकाम से बने वस्त्र, वॉलपीस व गुदड़ियाँ, काँच की कला कृतियाँ, हैण्ड मेड पेपर की बनी कलात्मक डायरियां आदि की दूकानों पर खरीददारों का जमावड़ा रहा। हाट बाजार में भ्रमण के दौरान लोगों ने संगम सभागार में प्रदर्शित कला कृतियों का अवलोकन भी किया व सराहा। इस सभागार में देश के लब्धप्रतिष्ठित कलाकारों की कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं।
हाट बाजार में ही गुदुमबाजा नर्तकों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोहा। कलाकार समूह में गुदुम हाथ में ले कर विभिन्न शिल्प क्षेत्रों में घूमते हुए अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं वस्त्र संसार में नट कलाकारों के करतबों को देखने के लिये लोगों की खासी भीड़ एकत्र हो गई। हाट बाजार में ही लोगों ने अमरीकन भुट्टे, आइसक्रीम, चाट पकौड़ी, कचोरी, मक्खनिया दूध, चना जोर गरम, भेल, गरमा गरम जलेबी आदि का स्वाद चखा।
बाल संसार में दिखा बच्चों का कौशल
प्लीज पापा थोड़ी देर रूको…..! एक मिनट मैं मास्क बना के आता हूं…..। प्लीज एक बार गेम पूरा करने दो…… ये शब्द यहां हवाला गांव स्थित शिल्पग्राम में चल रहे शिल्पग्राम उत्सव में सम झोंपड़ी में आयोजित बाल संसार में आने वाले बच्चों के मुख से निकलते सुने गये। यहां बालकों का कौशल उभर कर सामने आया है। बाल संसार में राजकुमार जादूगर से जादुई कला व खेल सीखने के लिये बच्चों की भीड़ लगी रहती है वहीं लीना गर्ग से कागज़ से मुखौटे बना कर बच्चे उसे अपने साथ ले जाने की हठ करते हैं। रामजी सावला जी बालकों को खिलौने बनाना सिखा रहे हैं। सम झोंपड़ी में ही फोटो जर्नलिस्ट फ्रैण्ड्स क्लब द्वारा बच्चों व आगंतुकों को फोटोग्राफी प्रशिक्षण देने के साथ उन्हे मेले में फोटोग्राफी करने के लिये भेजा गया। यहां पर उदयपुर के कई शौकिया छायाकारों ने अपने छाया चित्र भी प्रदर्शित किये हैं।
रंगमंच पर सिंगी छम व बिहू ने पूर्वोत्तर को मेवाड़ में साकार
शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2014 में शुक्रवार को कलांगन पर असम का बिहू नृत्य तथा सिक्किम के छम ने मेवाड़ की धरा पर पूर्वोत्तर भारत को साकार किया वहीं घंटू व सोलकिया ने वहां की आदिम संस्कृति को दर्शाया। रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत केरल के बेम्बू बैण्ड से हुई जिसने बांसुरी पर सुमधुर तान छेड़ कर दर्शकों को लुभाया तथा इनके साथ बाँस के अन्य वाद्यों ने अनूठी संगत कर दर्शकों के मानस पटल पर अपनी मोहक छवि अंकित की। इसके बाद अरूणाचल का जूजू जाजा में अरूणाचल की बालाओं ने गीत ‘‘जूजू जाजा जामिनजा…’’ गीत पर नर्तन से समां बांध दिया। कार्यक्रम में असमी बालाओं का बिहू नृत्य दर्शकों के लिये आल्हादकारी पेशकश रही। बिहू पर्व पर असमी युवक युवतियों द्वारा यह नृत्य किया जाता है जिसमे पेंपा गोगोना वाद्यों पर असमी बालाएँ थिरकती है और एक मस्ती सा माहौल पैदा हो जाता है। इस अवसर पर सिक्किम का सिंगी छम दर्शकों को भरपूर रास आया। जिसमें हिम शेर ने दर्शकों के बीच जा कर अठखेलिया की व दर्शकेां को रिझाया।
रोमांचक प्रस्तुति थी मणिपुर का थांग-ता जिसमें मणिपुरी लड़ाकाओं ने अदम्य साहस दिखाते हुए तलवार बाजी करते हुए एक दूसरे पर वार किया व बचाव किया। इसी में से एक कलाकार ने स्टिक परफोरमेन्स में ढोल की लय पर स्टिक को अपनी अंगुलियों, सिर आदि पर संतुलित कर दर्शकों को हैरत में डाला। इस अवसर पर भपंग वादक ने शेरो-शायरी से दर्शकों का मनोरंजन भी किया। मिजोरम का सोलकिया व सिक्किम का घंटू नृत्य उत्तर पूर्व राज्य की आदिम परंपरा के वाहक बन सके। अपने सहज और लय बद्ध नर्तन से नर्तकों ने अपनी सतरंगी संस्कृति को दर्शाया। कार्यक्रम में इसके अलावा राठवा नृत्य, पुग चोलम खुपीलीली नृत्य प्रदर्शित किये गये।