टेमीफ्लू का स्टॉक पर्याप्त नहीं, पार्षदों के साथ सीएमएचओ की बैठक
उदयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मानें तो उदयपुर में स्वाइन फ्लू की स्थिति तो गंभीर है लेकिन निबटने के लिए टेमीफ्लू का स्टॉक एक या दो दिन का ही है। इस संबंध में जयपुर से टेमीफ्लू मंगवाई गई है जो तीन-चार दिन में यहां पहुंचेगी।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक ने मंगलवार को नगर निगम में सभी पार्षदों के साथ हुई बैठक में दी। स्वाइन फ्लू की जांच आरएनटी में निशुल्क उपलब्ध है। यहां अच्छी सुविधा है जहां प्रतिदिन 50 जांचें हो सकती हैं। सुबह 12 बजे से पूर्व आने वाले पेशेंट की रिपोर्ट 2 बजे तक आ जाती है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के स्वास्थ्य में सुधार है। उनका उपचार उनके निवास पर ही किया जा रहा है। चिकित्सकों टीम वहां पर लगी हुई है। कटारिया के आस-पड़ोसियों, परिजनों और स्टॉफ को भी टेमीफ्लू की दवा दी जा रही है। उनके निवास को पूरी तरह से आइसोलेट कर दिया गया है।
शहरवासियों की सुरक्षा को लेकर जनप्रतिनिधियों के सहयोग से चलाए जाने वाले अभियान के तहत हुई इस बैठक में डॉ. टांक ने माना कि स्थिति गंभीर है लेकिन इसका बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है। साथ ही अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके, इसी को लेकर यह बैठक बुलाई गई है। टांक ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मरीजों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी ए में साधारण सर्दी-जुखाम और हल्का बुखार हो। दूसरी बी श्रेणी में सर्दी-जुखाम, बुखार, गले में दर्द, पांच साल से कम या 65 से अधिक के लोगों, प्रसूताओं, डायबिटीक मरीजों या लम्बी बीमारी से ग्रस्त लोगों को इसमें रखा जाता है। तीसरी श्रेणी सी में सर्दी, खांसी, जुकाम, तेज बुखार, लगातार नाक बहना जो सबसे गंभीर मानी जाती है। इसमें मरीज को हॉस्पीटल में भर्ती करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि ए श्रेणी वाले मरीज चिकित्सक को दिखाकर दवाएं लें। बी श्रेणी वाले मरीजों को चिकित्सक के पास जाकर जांच कराना जरूरी है तथा सी श्रेणी वाले मरीजों को हॉस्पीटल में भर्ती करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि फिलहाल मौसम ऐसा है कि सर्दी-जुखाम आम है। ऐसा कुछ भी हो तो एक बार चिकित्सक को जरूर दिखाएं। हल्के बुखार को भी गंभीरता से लें।
टांक ने बताया कि शहर के सेटेलाइट हॉस्पीटल्स, डिस्पेंसरीज में आशा सहयोगी, नर्सिंगकर्मी और नर्सिंग कॉलेज के 50-50 स्टूडेंट्स घर-घर सर्वे कर जांच करेंगे और सर्दी-जुखाम का मामूली मरीज भी मिला तो उसे तुरंत चिकित्सक को दिखाया जाएगा। जनजागरूकता के लिए परचे बांटे जाएंगे। हर 50 से 100 घरों पर एक महिला आरोग्य समिति का गठन किया गया है। इस समिति की महिलाएं भी इनके साथ काम करेगी। उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू का वैक्सीन बहुत अधिक गंभीर रोगियों के लिए ही है। वार्ड के नर्सिंगकर्मी, डॉक्टर, प्रसूता, 65 वर्ष से उपर वाले लोगों को ही वैक्सीन की सलाह दी जाती है। इससे अब तक दो जनों की मृत्यु हो चुकी है। दस दिन में स्थिति बहुत अधिक बिगड़ गई है।
महापौर चंद्रसिंह कोठारी ने बताया कि शहर की जनता के लिए निगम ने 40 हजार पेम्फलेट छपवाए हैं जिसमें लक्षण, उपाय एवं बचाव की जानकारी दी गई है। साथ ही 12 से 15 होर्डिंग तैयार करवाए गए हैं जो शहर भर में लगाए जाएंगे। डिप्टी सीएमएचओ राघवेंद्र राय ने बताया कि उदयपुर में पहला केस सिक्योर मीटर के इंजीनियर का पाया गया जो पुणे से आया था। इसने 2010 में विकराल रूप लिया फिर 2011 में बिल्कुल समाप्त हो गया था। फिर 2014 में यकायक इसने पैर पसारे जो अब 2015 में एकदम से बढ़ गया। पहले यह स्वाइन से इंसान में आया था जो अब इंसान से इंसान में फैल रहा है। बैठक में उदयपुर नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश राजानी भी मौजूद थे।