सुप्रकाशमति माताजी ने बच्चों को व्यसनों से दर रहने की दिलाई शपथ
उदयपुर। राष्ट्र संत गुरु माँ गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकाशममति माताजी ने माता-पिता, गुरू को चरण स्पर्श, विनय बड़ो की आज्ञा मानना, विद्यार्थी के लक्षण,सद् साहित्य का अध्ययन,सुविचारों को अपनाना,दुष्प्रवृत्तियों से दूर रहना, नशा का त्याग करना आदि सुसंस्कृत व्यक्ति गुणों पर व्याख्यान देते हुए कहा कि इन सभी का मनुष्य जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि संस्कृति, संस्कारों और जीवनोपयोगी बातों को अच्छे जीवन में निश्चित रूप से स्थान देना चाहिये।
वे आज अखिल भारतीय सुप्रकाश ज्योति मंच की ओर से 51 हजार किलोमीटर की यात्रा तय कर लकड़वास पहुंची परिवार संस्कार रथयात्रा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित अभूतपूर्व स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय में उपस्थित 400 बच्चों को जीवन में व्यसनों से दूर रहने की शपथ दिलायी। इस सभा में 400 छात्र छात्रओं के अतिरिक्त गाँव के 200 से अधिक गणमान्य महिला पुरुषों की उपस्थिति रही।
मंच के मुख्य संरक्षक ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि सभा का आगाज गुरु माँ के के पद प्रक्षालन पूजा के साथ हुआ। समारोह की अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य बी एल जैन ने की जबकि मुख्य अतिथि रमेश जैन,विशिष्ट अतिथि गिर्वा उप प्रधान पिंकी जैन थी। गुरु माँ सभी कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को पुरस्कार स्वरूप जीवनोपयोगी संस्कार नामक पुस्तक एंव पेन दिए गए। इस अवसर पर अखिल भारतीय सुप्रकाश ज्योति मंच के अध्यक्ष अशोक जी गोदरोत, मंत्री सुनील गोदावत, संदीप संगनरिया आदि सदस्य उपस्थित थे।
गुरूवार को कानपुर में-परिवार संस्कार यात्रा गुरूवार प्रात: कानपुर पंहुचेगी। समारोह में उपस्थित श्रावकों को प्रभावना ओम प्रकाश गोदावतकी और से वितरित की गई। कार्यक्रम संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता पारस कोठारी द्वारा किया गया।