जिनबिम्बों, शासन रक्षक, देवी-देवियों की स्थापना
उदयपुर। झीलों की नगरी में पार्श्व नाथ तीर्थों की मणिमाला में दिव्य मणि समान पार्श्वीनाथ तीर्थ में जीर्णोद्धार उपरान्त गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंद सूरिश्वर की निश्रा में जिनबिम्बो, शासन रक्षक, देवी-देवियों की बुधवार को धूमधाम से प्रतिष्ठा की गई।
ऊँ पुण्याहाम् पुण्याहाम् प्रियन्ताम्-प्रियन्ताम् के मंत्रोच्चार के साथ प्रात:कालीन शुभ वेला में हजारों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में जयकारों के बीच भगवान की प्रतिष्ठा हुई। प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में कुमकुम के थापे लगाये और एक-दूसरे को थापे लगाकर प्रतिष्ठा की बधाई दी। पांच दिवसीय महोत्सव का समापन गुरुवार को द्वार उरद्घाटन के साथ होगा। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा द्वारा संचालित श्री सवीना पाश्र्वनाथ तीर्थ में जिर्णोद्धार उपरान्त चल रहे पांच दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन शांतिदूत गच्छाधिपति आचार्य नित्यानंद सूरीश्वरजी ने कहा कि जिसका मन मंदिर हो वही भगवान का मंदिर बना सकता है। जिसके मन में भगवान बैठे वही मंदिर में भगवान को विराजमान कर सकता है। तीर्थ व मंदिर संस्कृति रूप सदन के मुख्य आधार स्तम्भ है। ऊर्जा के स्त्रोत, प्रेरणा केन्द्र और आत्म जागृति के पुण्य धाम है। इन्हीं से हमारी गौरवशाली परम्परा जीवित है। इस अवसर पर मुनि मोक्षानन्द ने भी धर्मसभा को सम्बोधित किया।
महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सवीना जिनालय के जिर्णोद्धार के उपरान्त बुधवार को श्री मुनिश्वर स्वामी, नेमीनाथ भगवान, नाकोड़ा भैरव देव, तपागच्छ के अधिष्ठायक श्री मणिभद्र वीर, पाश्र्वयश, पद्मावती देवी एवं तीन मंगल मूर्तियों की प्रतिष्ठा आचार्य श्री निश्रा में विधिकारक अहमदाबाद से आए कल्पेश भाई ने मंत्रोच्चार के बीच सामूहिक नवकार जाप के बाद एक साथ इन सभी मूर्तियों की प्रतिष्ठा कराई। इस मौके पर लाभार्थी परिवार ने हाथी पर आकर तोरण की रस्म अदा की। तोरण के दौरान चारों तरफ से फूल वर्षा होने लगी। सम्पूर्ण कार्यक्रम के लाभार्थी कालूलाल जैन की धर्मपत्नी मीनादेवी ने भगवान की ध्वजा को अपने सिर पर रखकर मंदिर की परिक्रमा की उसके बाद पूरे परिवार ने मंदिर के शिखर पर मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापित कर ध्वजारोहण कर मांगलिक विधान को भगवान के जयकारों के बीच संपन्न कराया। ध्वजा के बाद मंदिर के शिखर से करीब बीस मिनिट तक पुष्पवर्षा की गई। इस दौरान थाली, मांदल और भगवान के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। जैसे ही प्रतिष्ठा की रस्म पूरी हुई तब सभी ने कुमकुम के थापे पहले जिनालय की दिवारों पर लगाये और उसके बाद भव्य प्रतिष्ठा की खुशी में कुमकुम के थापे एक-दूसरे को लगाकर, गले मिलकर बधाईयां दी। दोपहर को शांति स्नात्र महापूजन भी हुआ। मंदिर की भव्य प्रतिष्ठा पर सकल श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज का फले चुंदड़ी व शाही करबा का भी भव्य आयोजन हुआ जिसमें सात हजार से अधिक धर्मावलम्बियों ने भाग लिया।
मुमुक्षु दीपक का हुआ बहुमान : आचार्य श्री की निश्रा में आगामी दिनों में दीक्षा लेने वाले मुमुक्षु दिल्ली के रत्नदीपक जैन का श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के पदाधिकारियों ने स्वागत किया।
आयड़ पर बनेगी पंचतीर्थी : तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ को पंचतीर्थी बनाने के लिए जिर्णशीर्ण हो रहे वासूपपूज्य स्वामी का जिनालय का जिर्णोद्धार आचार्य श्री नित्यानंद सूरीश्वरजी की निश्रा में करने का निर्णय लिया ताकि इस तीर्थ को पंचतीर्थी बनाया जा सके। जिनालय के मूल गर्भगृह का लाभ बाबू अनिलचंद पन्नालाल आदिश्वर जैन चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से मैनेजिंग ट्रस्टी भरतभाई जवेरी ने लिया।
होगा जिर्णोद्धार : तपागच्छ के प्रथम आचार्य जगतचंद सूरीश्वर महाराज ने आयड़ तीर्थ पर जिस उपासरे में बैठकर साधना व तपस्या की उसका भी जिर्णोद्धार आचार्यश्री नित्यानंद सूरीश्वरजी की निश्रा में कराने का निर्णय लिया। इस उपासरे को निखारने का लाभ बाबू अनिलचंद पन्नालाल आदिश्वर जैन चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से मैनेजिंग ट्रस्टी भरतभाई जवेरी ने लिया।
अराधना भवन का उद्घाटन : सवीना तीर्थ पर आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर की निश्रा में बनाये गये पाश्र्व वल्लभ अराधना भवन का उद्घाटन मुख्य लाभार्थी परिवार जालंधर पंजाब के श्रीमती शशि शिमलारानी जैन पुत्र संजय, शैलेश जैन परिवार ने मोली खोलकर लोकार्पण किया।