तीसरे दिन निकली ध्वज व कलश यात्रा
पायड़ा स्थित पदमप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
उदयपुर। पायड़ा स्थित श्री पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर पायड़ा (आयड़-केशवनगर) में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत तीसरे दिन मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व नित्य नियम पूजा की गई।
आचार्य अनेकांत सागर ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के महत्व पर प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भगवान आदिनाथ को एक वर्ष बाद आहार मिला था। आहार में भगवान को इक्षु रस प्रदान किया गया। आदिनाथ भगवान पर गन्ने के रस का अभिषेक होता है। आचार्य श्री ने कहा कि सांवलिया गार्डन में ध्वज की स्थापना की गई। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की ध्वजा आज स्थापित हुई है। पाषाण की मूर्ति को आज यहां लाया गया है। अब नियमित रूप से यहां मंत्रोच्चार व पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
पद्मप्रभु जिनालय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी संजय गुडलिया ने बताया कि इसके बाद पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में वास्तु शांति होम किया गया। पांच फीट के स्वर्ण कलष व ध्वजा को पायड़ा स्थित मंदिर से विषाल जुलूस के रूप में लाया गया। भव्य शोभायात्रा में महिलाएं केसरिया साड़ी में शामिल हुई वहीं हाथी, घोड़े भव्य राजसी ठाट-बाट का दृष्य उत्पन्न कर रहे थे। शोभायात्रा में 108 कलष, 108 ध्वजाएं व प्रतिमाएं लिए श्रावक-श्राविकाएं चल रहे थे। शाम को वाद्यों द्वारा भेडीतारण कर प्रतिष्ठा का आगाज किया गया। शाम को आरती कमलेष चिबोड़िया एवं परिवार द्वारा की गई।
बल ब्रह्मचारी पं. धर्मचंद शास्त्री ने बताया कि पद्मप्रभु महिला मंडल की पदाधिकारियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। सुबह नित्याभिषेक पूजा के बाद नवदेवता मण्डल विधान पूजन हुआ। फिर आचार्य श्री के प्रवचन हुए। दोपहर में नवग्रह होम, जल होम व शांति होम हुआ। दोपहर बाद महाध्वज यात्रा निकाली गई। इसके बाद ध्वज स्थापना की गई। शाम को आरती हुई। रात्रि 8 बजे भेडीतारण, रत्नवृष्टि व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। महिलाओं व बालिकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। आचार्यगणों की महाआरती हुई।
समारोह में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के मुख्य संयोजक रमेषचंद्र चिबोड़िया, अध्यक्ष प्रकाषचंद्र अदवासिया, महामंत्री अनिल सकरावत, कोषाध्यक्ष, पद्मप्रभु दिगम्बर जैन समाज पायड़ा के अध्यक्ष रमेशचंद्र पद्मावत ने सहयोग दिया।
आज: बुधवार को नित्याभिषेक पूजा के बाद यागमण्डल विधान पूजा, शोभायात्रा व वास्तु विधान होगा। दोपहर बाद आचार्य श्री के प्रवचन व माता की गोद भराई होगी। शाम को नियमित आरती व प्रवचन होंगे। रात्रि 8 बजे इन्द्र दरबार, तत्वचर्चा, कुबेर द्वारा नगरी रचना, रत्नवृष्टियों द्वारा माताजी की सेवा, स्वप्न व गर्भकल्याणक की विधि होगी।