हाइकोर्ट बैंच आन्दोलन में शामिल नहीं होने पर बार एसोसिएशन ने दिया
उदयपुर। सभांग मुख्यालय पर चल रहा आन्दोलन एक बार फिर आक्रामक रूप लेगा और इस बार इसमें आदिवासियों के साथ अजा-जजा के लोगों की भूमिका और सशक्त की जायेगी। प्रतिमाह की 7 तारीख को होने वाले आंदोलन में भाग नहीं लेने वाले तेरह अधिवक्तााओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
बार अध्यक्ष प्रवीण खण्डेहलवाल ने बताया कि आन्दोलन अधिवक्ताओं का है और इस दिन काम करना और आन्दोलन में सहयोग या सहभागिता नहीं निभाना खेदजनक है। पिछले सात तारीख के आन्दोलन के दौरान काम करने वाले और तथा आन्दोलन में सहभागिता नहीं निभाने वाले 13 अधिवक्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किये गये है। मेवाड़-वागड़ हाईकोर्ट बैंच संघर्ष समिति की हुई बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शान्तिलाल चपलोत ने की। अधिवक्ता ओं ने मुददे पर सरकार की चुप्पी पर कई सवाल उठाये और सरकार का ध्यानाकर्षण कराने तथा संविधान में प्रदत्त अनुसूची 5 के तहत उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित कराने की मांग की गई।
समिति के संयोजक रमेश नन्दवाना ने कहा कि यह आन्दोलन वकीलों का नहीं बल्कि उदयपुर की प्रतिष्ठा का आन्दोलन है। सालों से अधिवक्ता राज्य व केन्द्र में सरकारों के एक सा नहीं होने के कारण इस मांग को पूरा नहीं करा पाये पर अब तो केन्द्र से लेकर जिला परिषद व नगर निगम तक भाजपा की सरकार है और मेवाड़ ने भरपूर सहयोग देकर जिताया है, महासचिव शान्तिलाल पामेचा, पूर्व बार अध्यक्ष हीरालाल कटारिया, टीएन पुरोहित, मोहम्मद शरीफ छीपा, हरिसिंह भाटी सहित कई अधिवक्तारओं ने संबोधित किया। संभाग के विधायकों का घेराव करने, मुख्यमन्त्री से पत्राचार करने, सत्येन्द्र छाबड़ा ने प्रत्येक 7 तारीख को प्रभावी रूप से आन्दोलन को करने, मनीष शर्मा ने प्रतिनिधियों से लगातार सम्पर्क करते रहने, हेमन्त जोशी ने हाईकोर्ट में मेवाड की लाबिंग करने तथा वहां के न्यायाधिपतियों को अपने हक में करने तथा न्याय के विकेन्द्रीकरण पर सेमीनार आयोजित करने, मधुमति व्यास ने 7 तारीख के आन्दोलन में अधिवक्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य करने, डालचन्द मेघवाल ने पार्षदों से सरकार को इस मांग के सम्बन्ध में पत्र लिखवाने की सलाह दी।