त्रिपुरा मुख्यमंत्री ने कहा
उदयपुर। मोदी सरकार के आने के केन्द्र में आने के बाद देश में महंगाई बढऩे के साथ बेरोजगारी बढ़ी है और 11 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। मोदी सरकार विदेश से कालाधन लाकर देश की जनता के बैंक खातों में रूपया जमा करने के चुनावी वादे के बावजूद भी आज तक एक रूपया भी कालेधन का देश में नहीं लाये। ऐसे में भी अगर ये अच्छे दिन हैं तो बुरे दिन किसे कहेंगे।
ये विचार आवास अधिकार संघर्ष मंच, कच्ची बस्ती फैडरेशन एवं आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार 4 जून 2015 को जिला कलेक्ट्री कार्यालय के बाहर हुए महापड़ाव को सम्बोधित करते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री एवं माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. माणिक सरकार ने व्यक्त किये।
सरकार ने कहा कि मोदी की केन्द्र सरकार ने वहीं से अपनी नीतियां शुरू की है, जहां पिछली कांग्रेस सरकार ने छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी एवं भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जिनकी नीतियों में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का निजीकरण करके देश की सम्पत्ति कॉर्पोरेट घरानों को लुटा रही है, यह भी एक तरह का भ्रष्टाचार होकर देश की आम जनता के बुनियादी अधिकार के साथ खिलवाड़ है।
माणिक सरकार ने कहा कि मोदी सरकार ने महानरेगा को खत्म करने का प्लान बनाया था, लेकिन माकपा के संसद पर हुए प्रदर्शन एवं धरने के कारण उन्हें अपने कदम पीछे लेना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने महानरेगा के बजट में उन्होंने कटौती कर गरीब मजदूर का हक छीना है। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत कर देश की जनता को 14 आवश्यक वस्तुएं सस्ते दाम पर दिलाने की मांग करने के साथ आवश्य वस्तुओं के वायदा व्यापार पर रोक करने की भी मांग की है।
सरकार ने माकपा द्वारा उदयपुर में आवासहीन लोगों को मकान दिलाने के संघर्ष, कच्ची बस्ती वासियों को पट्टे दिलाने के संघर्ष, वन पर काबिज आदिवासियों को वन भूमि के पट्टे एवं उनके विकास पर किये जा रहे संघर्ष पर बधाई देते हुए कहा कि अगर जीवन को बेहतर करना है तो एकमात्र विकल्प संघर्ष और संघर्ष ही हो सकता है। सभा को माकपा राज्य सचिव पूर्व विधायक अमराराम, प्रो. वासुदेव शर्मा, वरिष्ठ नेता बीएल सिंघवी, जिला सचिव मोहनलाल खोखावत, आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के संयुक्त सचिव गौतम डामोर आदि ने भी संबोधित किया।
सभा के बाद मोहनलाल खोखावत के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने जिला कलक्टर रोहित गुप्ता को ज्ञापन देकर आदिवासी क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में बजट का आवंटन कर आवंटित बजट को पूरा खर्च करने, आरक्षित पदों के बेकलॉग को भरने, खनिज सम्पदा पर अधिकार या आय का 29 प्रतिशत स्थानीय विकास पर खर्च करने, वन अधिकार कानून पैसा कानून की पालना कराने, जनजाति आश्रम छात्रावासों एवं विद्यालयों की सुविधाएं दुरस्त करने, शिक्षकों के रिक्त पद भरने, आवासहीन लोगों को सस्ती दर पर आवास अथवा प्लॉट उपलब्ध कराने, कच्ची बस्ती वासियों को उनके मकान के पट्टे देने की मांग की गई, जिस पर जिला कलक्टर महोदय ने सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक संवेदनशील रवैया अपनाकर उचित कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया, जिस पर महापड़ाव में तय किया गया कि अगर सरकार व प्रशासन की ओर से तीन माह में उनकी मांगों पर वास्तविक धरातल पर क्रियान्विती नहीं की गई तो आर पार का आंदोलन किया जाएगा। संचालन पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने किया।