राजस्थान विद्यापीठ में 30 दिवसीय पीएचडी कोर्स वर्क प्रारंभ
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित पीएचडी शोधार्थियों का कोर्स वर्क बुधवार को विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित सभागार में प्रारंभ हुआ।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने पीएचडी शोधार्थियों का आव्हान किया कि वे अपने विषय की नवीनतम शोध परक जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि आज वैश्वीकरण के युग में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। हम उसको प्राप्त करके ही अपने विषय की अभिकृति बन सकते है। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि हम उसको प्राप्त करके ही अपने विषय की अभिकृति बन सकते है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ता को सकारात्मकता के साथ उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए। शोधकर्ता एवं शिक्षक को सकारात्मक दृष्टि से युक्त होना चाहिए। मोह ग्रस्त होकर किये जाने वाले शोध के निष्कर्ष सत्य के निकट नहीं होते।
मुख्य अतिथि प्रो. जीएम मेहता ने बताया कि इस वर्क शॉप में शोधार्थियों को शोध पद्धति, शोध प्रारूप तैयार करने की वैज्ञानिक पद्धति, कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट उपयोगिता आदि का ज्ञान कराया जायेगा। आवश्यकता इस बात की है कि शोधार्थी प्राचीन भारतीय परम्परा को अपनाते हुए शोध कार्य करे तथा कॉपी पेस्ट से बचे। पीजी डीन प्रो. प्रदीप पंजाबी ने प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए 30 दिन तक चलने वाले कोर्स वर्क की जानकारी दी। समारोह के विशिष्टा अतिथि डॉ. मनीष श्रीमाली एवं युवराज सिंह राठौड़ थे। वर्क शॉप का संचालन डॉ. पारस जैन ने किया ।
शोध पर हो फोकस : पीजी डीन प्रो. प्रदीप पंजाबी ने कहा कि शोध स्थानीय समस्याओं, राष्ट्र के नीति निर्माण व सामुदायिक कार्यो पर आधारित होगा तो स्थानीय समस्याओं के निराकरण में भी मदद मिलेगी। कम्युनिटी विकास, कम्युनिटी स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, पर्यावरण पर होना चाहिए शोध। उन्होने बताया कि शोधार्थियों को अपने शोध की वर्ष में तीन बार रिपोर्ट देनी होगी जिसके आधार पर ही शोध कार्य को आगे भेजा जायेगा। माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय, टाउन हॉल रोड पर कोर्स वर्क प्रातः 09 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजिक किया जायेगा। उसके बाद आधे घंटे का कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होने कहा कि बायोमेट्रिस द्वारा शोधार्थियों की उपस्थित दर्ज की जायेगी। शोध गंगोत्री सोफ्टवेयर से उनके शोध प्रारूप (सिनोफसीस) की जांच की जायेगी।