एक माह में 46 हजार ने देखा बायोलोजिकल पार्क
लगभग 14 लाख का राजस्व अर्जन
उदयपुर। लेकसिटी के आने वाले पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को यहां की नैसर्गिक विविधता से रु-ब-रु कराने के उद्देश्य से हाल ही में बनाया गया सज्जनगढ़ स्थित राजस्थान का पहला बायोलोजिकल पार्क आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है और एक माह में ही इस पार्क को 46 हजार से अधिक दर्शकों ने देखा जिससे वन विभाग को लगभग 14 लाख रुपयों के राजस्व की प्राप्ति हुई है।
वन संरक्षक (वन्यजीव) राहुल भटनागर ने बताया कि सज्जनगढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित इस पार्क के गत माह लोकार्पण के बाद रूझान बढ़ा है और प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटकों व प्रकृतिप्रेमियों का जमावड़ा लगता है। अपनी भौगोलिक विशिष्टता के कारण इस पार्क में न सिर्फ पर्यटक और प्रकृति में रूचि रखने वाले व्यक्ति अपितु बड़ी संख्या में विद्यार्थियों व शोधार्थियों का भी आगमन हो रहा है। आगंतुकों द्वारा विभाग की ओर से की गई गोल्फ कार व साईकिलों के माध्यम से इस पार्क के बनाए गए इन्क्लोजर्स में खुले घूमते वन्यजीवों को देखने में विशेष रूचि देखी जा रही है वहीं यहां पर बच्चों द्वारा खेलने के लिए मुहैया करवाई गई सुविधाओं का भी आनंद उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक गर्मी होने के बावजूद पिछले 35 दिनों में इस पार्क में कुल 46 हजार 222 पर्यटक आ चुके हैं जिसमें से 50 से अधिक विदेशी पर्यटक भी शामिल है। उन्होंने बताया कि इस पार्क में प्रवेश शुल्क के माध्यम से राज्य सरकार को कुल 13.90 लाख रुपयों की आय प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों हुई वर्षा के बाद तापमान में गिरावट आने पर पर्यटकों का और अधिक रूझान इस पार्क की ओर आने की संभावना है।
उस्ताद (टाईगर टी-24) भी है मस्त : वन संरक्षक (वन्यजीव) राहुल भटनागर ने बताया कि सज्जनगढ़ पार्क में हाल ही में रणथंभौर से लाए गए टाईगर टी-24 (उस्ताद) भी पूर्णतया स्वस्थ व मस्त है और वह यहां की आबोहवा के अनुकूल होने लगा है। उन्होंने बताया कि पार्क में टाईगर टी-24 के एनक्लोजर में उसे पूर्ण सुरक्षा व अनुकूल स्थितियां मुहैया करवाई जा रही है। एनक्लोजर के नोन डिस्प्ले क्षेत्र में पेयजल के लिए वॉटर हॉल बनवाया गया है वहीं बैठने के लिए नमीयुक्त भूमि तैयार करवायी गई है। इसके स्वास्थ्य की दृष्टि से निःसंक्रमण क्रिया पूर्ण कराने, फैन्सिंग की दृढ़ता की जांच कराते हुए नॉन डिसप्ले क्षेत्र में समस्त कांटें, तार, प्लास्टिक आदि हटवाये गये है। टाईगर के फेरे लगाने की प्रवृति को ध्यान में रख परिधि व अन्य जगहों पर समस्त गड्ढे, झीर्रिया आदि को ठीक कराया गया तथा फेंन्सिंग के पास मिट्टी के ढेरों को समतल कराया ताकि यह उछल कर एस्केप नहीं हो सके। उपयुक्त स्थानों पर ट्रेप कैमरे लगवाते हुए इसकी गतिविधियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके साथ ही फैन्सिंग से सटकर अतिरिक्त पानी की कुंडी रखवायी गई है ताकि जरूरत पड़ने पर इसमें दवायें डालकर टाईगर को उपलब्ध करायी जा सके। मेन एनक्लोजर की दामिनी मादा बाघ जाली के आर-पार एक दूसरे को नाखूनों से नुकसान नहीं पहुंचावे अतः टिन शीट वेल्ड़ करायी एवं दृष्टि अवरोधन कार्य किया। उन्होंने बताया कि टाईगर की देखभाल व निगरानी के लिए राम सिंह, हेड़ केयर टेकर की दिन में एवं सहायक वनपाल सतनाम सिंह एवं वनरक्षक द्वारका प्रसाद की रात्रि ड्यूटी लगाते हुए निर्देश दिए गए हैं।