उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर की 18 वीं पुण्यतिथि रविवार को विद्यापीठ तीनों परिसरों में पुष्पांजलि अर्पित कर उनके बताये रास्ते पर चलने की शपथ ली जायेगी। कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बताया कि प्रतापनगर स्थित उनकी प्रतिमा पर प्रातः 10 बजे पुष्पांजलि अर्पित कर उनको याद किया जायेगा।
सामाजिक बदलाव के पुरोधा : प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि समाज एवं साहित्य की समर्पित भाव से सेवा करने वाले साहित्यकार पं. जनार्दन राय नागर बहुमुखी प्रतिभा और विराट व्यक्तित्व के धनी थे। पं. नागर ने ब्रिटिश व सामंती अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपनी निर्भिकता ओैर अदम्य साहस का कई बार परिचय दिया। उनके ये दोनों रूप एक दुसरे के पूरक थे। इसलिए ऐसा संभव हो सका कि जनु भाई ने समाज सेवा और साहित्य सृजन के क्षेत्र में एक साथ सक्रिय रहकर देश सेवा की। शिक्षा और साहित्य जनुभाई के बहुआयामी जीवन के दो मुख्य क्षेत्र थे। उन्होंने जनहित के लिए अपना सब कुछ शिक्षा और साहित्य को समर्पित कर दिया। उन्होंने 1937 में हिन्दी विद्यापीठ की स्थातपना कर सर्वहारा एवं जन साधारण की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। शिक्षा के क्षेत्र में जनु भाई का राजस्थान विद्यापीठ और साहित्य के क्षेत्र में राजस्थान साहित्य अकादमी प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में योगदान है।