उदयपुर। साध्वी श्रद्धांजनाश्री ने कहा कि जिस व्यक्ति का मन कषायों, विषायों से भरा होता है उसके शरीर से बदबू आती है। वे आज वासूपूज्य मंदिर में चातुर्मासिक प्रवचन के तहत धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि श्रावक-श्राविका को पाप से घृणा एवं उससे अरूचि होनी चाहिये जबकि धर्म से प्रेम करना चाहिये। धर्म करने से ब्रह्मचर्य का पालन भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि वेश्या आग, सती पानी एंव हीरो-हीरोइन दावानल के समान होते है। यह दावानल जंगलों तक को साफ कर देता है। हमारी युवा पीढ़ी को इस दावानल से बचाने के लिए इनसे दूरी बनायें रखनी चाहिये।
साध्वीश्री ने कहा कि जिस व्यक्ति ने जन्म लेने का पाप किया है उसे मृत्यु की सजा तो मिलनी ही है। पाप करने वाला पापी कहलाता है लेकिन पाप, कषाय,विषाय का निमित्त बनने वाला भी पापी कहलाता है। श्री जैन श्वेताम्बर वासूपूज्य महाराज का मंदिर ट्रस्ट के सचिव राजकुमार लोढ़ा ने बताया कि साध्वीश्री की प्रेरणा से आगामी रविवार 6 सितम्बर को प्रात: 9 बजे जोधपुर से बाल ब्रहमचारी श्रावक सहित श्रावक-श्राविकाओं की एक बस आएगी। ब्राल ब्रह्मचारी यहां संगीतमय गिरनार मंदिर की वर्तमान स्थिति एवं भगवान नेमीनाथ के गुणगान करेंगे।
क्रोध से विवेक व विनय का नाश : मुनि श्रुतसुन्दर विजय महाराज ने कहा कि क्रोध जीवन का बहुत बड़ा अवगुण है। क्रोध करने से विवेक एवं विनय का नाश होता है। वे आज श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ जिनालय द्वारा हिरणमगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गुब्बारों में उतनी हवा भरनी चाहिये जितनी उसकी क्षमता हो। अधिक हवा भरने से वह फट जाएगा ठीक उसी तरह क्रोध को जितना अधिक दबाओगें वह उतना अधिक उछलेगा। आत्मा को अवगुण का निवास नहीं बनने देना है। संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि 5 सितम्बर को जन्माष्टमी पर्व पर आचार्य विजय सोमसुन्दर महाराज द्वारा विशेष विषय पर जाहिर प्रवचन देंगे।
थोब की बाड़ी : थोब की बाड़ी में शालीभद्र की रिद्धि सिद्धि की 99 पेटियां का कार्यकम साध्वी उपेन्द्रयशा श्रीजी मसा के सान्निध्य में हुआ। इसमें जैन बालक बालिकाओं ने अभिनय नाटक के माध्यम से धन्ना-शालीभद्र के चरित्र को साकार किया। नाटिका देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। साध्वीजी ने बताया कि इसमें संगम नामक बालक का पूर्व जन्मों के संचित दान पुण्यों के बाद शालीभद्र सेठ़ बनना और वापिस अपने सभी सुखों धन और वैभव का त्याग कर प्रभु की शरण में जाने का जोरदार मंचन किया। साध्वीजी ने कहा कि व्यक्ति को धन के प्रति आसक्ति नहीं रखना। सुहितरत्नाजी सुरभिरत्नाजी ने भी भजन द्वारा सभी को मुग्ध कर दिया। रविप्रकाश देरासरिया ने बताया कि कार्यक्रम में 30 बच्चें ने भाग लिया। नाटिका 5 दृष्य में अभिनय किया। संगीतकार जावरा वाले मनीष मेहता ने सुंदर भजन प्रस्तुत किये।