जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण 10 से 17 सितम्बर तक
उदयपुर। जो बारह महीने बाहर रहकर विचरण करते हैं। बाहर यानी अपने भीतर कभी नहीं झांकते, कभी आत्मालोचन नहीं कर पाते। पर्यूषण उनके लिए है। आत्म चिंतन करें, आत्म मंथन कर शोधन करें।
ये विचार शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्यूषण के ठीक पहले रविवार को तेरापंथ कन्या मंडल की ओर से ‘सजाएं निर्जरा की नौका, आया पर्यूषण का मौका’ विषयक धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण 10 सितम्बर से आरंभ होंगे जो 17 सितम्बर तक चलेंगे। 18 सितम्बर को खमतखामणा होगी।
राकेश मुनि ने कहा कि जैन धर्म गुणपूजक धर्म है। नवकार महामंत्र में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। वीतरागी को हमारा नमस्कार होता है। स्वयं में विश्वास रखें। पर्यूषण के इन आठ दिनों में बाहर से संबंध तोड़ें और स्वयं में भ्रमण करें। मोह कर्म से होने वाली अषुद्ध अवस्था यानी कषायों से दूर रहें। तप, व्रत, उपवास, प्रत्याख्यान करें। अति राग, अतिद्वेष से बचें। अकाल मृत्यु के 7 कारण होते हैं जिस कारण हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज आदि होते हैं। अषुद्ध विचार आए तो स्वास्थ्य प्रेक्षा करें। जैसा नाम हो, वैसा बच्चों को संस्कार भी दें। उपर से भले ही शांत रहते हैं लेकिन अंदर ही अंदर से क्रोध से जूझते रहते हैं। सौ रोगों का एक ही समाधान स्वास्थ्य प्रेक्षा है। कम से कम आधा घंटा प्रतिदिन स्वास्थ्य प्रेक्षा करें।
मुनि सुधाकर ने कहा कि निराहार रहकर शरीर की, मौन रहकर वचन की तथा स्वयं को शुद्ध रखकर मन की तपस्या करें। हम दोनों आंखों से सब कुछ देखते हैं लेकिन अपने अंदर ही नहीं देख पाते। पर्यूषण के ये आठ दिन स्वयं के भीतर झांकने के दिन हैं। भगवान महावीर ने कहा कि जो आस्रव के कारण होते हैं, वे निर्जरा के कारण बन सकते हैं तथा जो निर्जरा के कारण होते हैं, वे आस्रव के कारण बन सकते हैं।
मुनि दीप कुमार ने अलबेला पर्यूषण पर प्रवचन देते हुए कहा कि यह अलौकिक है। वर्षभर खेलकूद मंे व्यस्त रहने वाले बच्चे भी पर्यूषण में धर्मानुरागी हो जाते हैं। यह आत्मालोचन का पर्व है। इन दिनों में हम स्वयं को पहचानने का प्रयास करते हैं। तप, क्षमापना सहित पर्यूषण के 5 कर्तव्य बताए गए हैं। तप, उपासना और क्षमा का पर्व पर्यूषण है।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि 10 सितम्बर से आरंभ होने वाले पर्यूषण पर्व में पहले दिन खाद्य संयम दिवस, स्वाध्याय, सामायिक, वाणी संयम, अणुव्रत चेतना, जप, ध्यान दिवस तथा 17 सितम्बर को संवत्सरी महापर्व मनाया जाएगा। 18 सितम्बर को खमतखामणा (मैत्री) दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सभी कार्यक्रम शासन श्री मुनि राकेष कुमार एवं सहवर्ती संतों मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार के सान्निध्य में होंगे। पर्यूषण के दौरान प्रतिदिन तीन सामायिक, दो घंटे मौन, एक घंटा स्वाध्याय, नौ द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, जमीकंद का त्याग, ब्रह्मचर्य का पालन, श्रमणोपासक साधना का पालन, जप में संभागी बनने, रात्रि भोजन का परित्याग तथा आधा घंटा ध्यान एवं एक घंटा जप प्रयोग किए जाएंगे।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि पर्यूषण के दौरान कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्गों में रात्रिकालीन स्पर्धाएं होंगी। इसके तहत पहले दिन 10 सितम्बर को भाषण, एकल गीत, आध्यात्मिक खुला प्रष्न मंच, जैन हाउजी, समूह गीत, कौन बनेगा धर्मवान एवं 16 सितम्बर को अन्त्याक्षरी का आयोजन होगा। सभी कार्यक्रम शाम को प्रतिक्रमण के बाद होंगे। पर्यूषण कार्यक्रम का संयोजक विनोद माण्डोत को बनाया गया है। सिंघवी एवं मंत्री अजीत छाजेड़ कार्यक्रम के सफल संचालन में सहयोगी होंगे। प्रतिदिन होने वाली स्पर्धाओं के लिए अलग अलग संयोजकीय दायित्व सौंपे गए हैं।
इस दौरान एक्यूप्रेशर के विशेषज्ञ राजेन्द्रसिंह परमार का उपरणा ओढ़ा साहित्य भेंटकर सम्मान किया गया। आरंभ में मंगल गीतिका तेरापंथ कन्या मंडल की संयोजक प्रेक्षा नंदावत एवं सहयोगियों ने प्रस्तुत की। स्वागत उद्बोधन तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा ने दिया।